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काला गेहूं की खेती में रुचि ले रहे किसान

 

शाजापुर।

 

साधारण गेहूं की तुलना में काला गेहूं चार गुना ज्यादा गुणवत्ता वाला है।

 

खास बात है कि यह गेहूं पौष्टिक होने के साथ-साथ इसमें कई औषधीय गुण हैं, जो कैंसर, ब्लड प्रेशर, मोटापा, शुगर समेत कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इस गेहूं में जिंक एवं आयरन, एंथ्रो आक्सीजन की मात्रा साधारण गेहूं से 15 से 20 गुना अधिक होती है।

यह शरीर में उपस्थित विषैले तत्वों को बाहर करता है। शुगर की मात्रा कम होने से यह शुगर के रोगियों के लिए लाभदायक है। इस तरह का गेहूं अब जिले के किसान लगाने भी लगे हैं।

 

जिले की गुलाना तहसील के ग्राम सलसलाई निवासी किसान ईश्वर मेवाड़ा ने परम्परा से हटकर सोने जैसे दिखने वाले गेहूं के स्थान पर काले गेहूं की खेती कर किस्मत बदलने का निश्चय किया है।

प्रायोगिक तौर पर उन्होंने इस रबी सीजन में एक हेक्टेयर में काला गेहूं बोया है। इस वर्ष यदि उन्हें इससे अच्छा फायदा होगा तो वे अगले वर्ष अपनी पूरी जमीन पर रबी सीजन में काले गेहूं की खेती करेंगे।

 

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यहां से मिली प्रेरणा

कृषक मेवाड़ा ने बताया कि उन्हें काले गेहूं की खेती की प्रेरणा क्षेत्र के ग्राम मंडलखां के प्रगतिशील कृषक शरद भंडावत से मिली है। काले गेहूं का बीज भी उनसे ही प्राप्त किया था। साथ ही खास बात है कि वे काले गेहूं के लिए किसी तरह की रासायनिक खाद या दवाई का उपयोग नहीं कर रहे है।

उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्होंने केंचुआ खाद एवं जैव अमृत (गौ-मूत्र, छाछ एवं निंबोली) घोल का प्रयोग कर फसल की कीट व्याधि दूर कर रहे है। इस तरह रासायनिक खाद एवं दवाईयों के उपयोग नहीं करने के कारण उनकी फसल की लागत भी कम हो गई है।

उन्होंने एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में 80 किलोग्राम बीज की बुआई की है। कृषक मेवाड़ा ने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 60 क्विंटल के उत्पादन का अनुमान है।

जबकि साधारण गेहूं औसतन 40 से 45 क्विंटल ही निकल पाता है। ऐसे में जहां इस काले गेहूं की पैदावार अधिक है वहीं इसकी कीमत भी लगभग दोगुनी है। इस प्रकार आमदनी दो गुनी करने के लिए भी यह बेहतर विकल्प है।

 

काले रंग की वजह एंथोसाएनिन

फलों, सब्जियों और अनाजों के रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रजक कणों की मात्रा पर निर्भर होते हैं। काले गेहूं में एंथोसाएनिन नाम के पिगमेंट होते हैं। एंथोसाएनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों,अनाजों का रंग नीला, बैगनी या काला हो जाता है।

एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज पांच पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 140 पीपीएम के आसपास होता है।

एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन अधिक है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।

 

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source : naidunia

 

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