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अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक, बिना किसी मार्केटिंग के जैविक गुड़ बेचते हैं सूरत के किसान

 

जैविक गुड़ बेचते हैं सूरत के किसान

 

इसके बाद उन्होंने अपनी गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखते हुए खुद के ब्रांड नाम के साथ गुड़ बनाना शुरू किया.

गोविंद भाई ने एक छोटी सी शुरूआत के साथ गुड़ बनाना शुरू किया. आज उनके गुड़ बनाने के प्लांट में तक़रीबन 350 लोग काम कर रहे हैं.

पिछले 10 सालों से वह ऑर्गेनिक गुड़ भी बना रहे हैं.

 

आज के दौर में कृषि के लिए बेहतर बाजार ढूंढ़ना सबसे बड़ी चुनौती होती है क्योंकि अगर बेहतर बाजार नहीं रहेगा तो किसानों को अपने उत्पाद के अच्छे दाम नहीं मिल पाएंगे.

पर कुछ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने इसका हल ढूंढ़ा और आज अच्छी कमाई कर रहे हैं.

गुजरात के सूरत में रहने वाले एक ऐसे ही किसान हैं गोविंदभाई वाघसिया.

क्योंकि एक वक्त ऐसा भी था जब गन्ने की कटाई करने के बाद उन्हें महीनों तक गन्ने के वाजिब दाम मिलने का इतंजार रहता था.

पर आज हालात बदल गये हैं. इसके लिए उन्होंने खुद से कोशिश की. नये तरीके अपनाएं और उनके गुड़ आज अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक के लोग कर रहे हैं.

 

कृषि विश्वविद्यालय से किया संपर्क

दरअसल वाजिब दाम का इंतजार करना गोविंदभाई को बड़ा परेशान करता था.

इसका हल निकालने के लिए उन्होंने गन्ना बेचने के बजाय गुड़ बेचने का फैसला किया.

गुड़ बनाने का निश्चय करने के बाद उन्होंने कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क किया.

हालांकि उनके पिता ने उन्हें गुड़ बनाने की विधी सिखाई थी, पर इसे वो व्यवसाय के तौर पर करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने प्रोफेसनल तरीके से गुड़ बनाना सीखने का सोचकर कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क किया.

 

10 सालों से ऑर्गेनिक गुड़ बना रहे गोविंदभाई

विश्वविद्यालय से उन्हें मार्गदर्शन मिला, इसके बाद उन्होंने जाना की किसान खुद ही अपने द्वारा उगाये गये सब्जी और फल का मालिक है.

इसके साथ ही यह भी जाना की अगर सही देख-रेख में किया जाए तो कृषि से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

इसके बाद उन्होंने अपनी गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखते हुए खुद के ब्रांड नाम के साथ गुड़ बनाना शुरू.

गोविंद भाई ने एक छोटी सी शुरूआत के साथ गुड़ बनाना शुरू किया. आज उनके गुड़ बनाने के प्लांट में तक़रीबन 350 लोग काम कर रहे हैं.

पिछले 10 सालों से वह ऑर्गेनिक गुड़ भी बना रहे हैं.

 

पिता की दी हुई सीख को हमेशा मानते हैं

द बेटर इंडिया से बात करते हुए गोविंदभाई ने कहा कि 10 किलो गुड़ ले जाने वाला ग्राहक, अगले साल 100 किलो गुड़ लेने हमारे पास आता है.

मेरे लिए यही मेरी सफलता और मुनाफा है.

अपने पिता की दी हुई सीख को याद करते हुए वो कहते हैं कि उनके पिताजी अक्सर कहा करते थे कि दुनिया के किसी भी दूसरे बिज़नेस के बजाय, अगर तुम खेती में दिल से मेहनत करोगे, तो मन की शांति के साथ अच्छा मुनाफा भी कमा सकोगे.

साथ ही कहते थे कि खेती में अपनी आय बढ़ाने ते लिए हमेशा कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए, चाहे नयी तकनीक और या फिर नये प्रोडक्ट का निर्माण.

 

100 एकड़ जमीन के है मालिक

गोविंदभाई ने अपने खेतों में यह पाया की आर्गेनिक तरीके से खेती करने पर उनके गन्ने का उत्पादन आठ से 10 टन बढ़ा है.

इससे अब उत्पादन की समस्या खत्म हो गयी है. इस ऑर्गेनिक गन्ने से वो ऑर्गेनिक गुड़ बनाते हैं.

एक टन गन्ने से वह तरकरीबन 120 किलो गुड़ उत्पादन करते हैं।

इस तरह उनके खेत में लगे प्लांट पर हर दिन 11 हजार किलो गुड़ का उत्पादन होता है.

उनके पास उनके पास तक़रीबन 100 एकड़ खेत हैं, जिसमे वह 22 एकड़ जगह में ऑर्गेनिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं.

लेकिन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग को देखते हुए वह आने वाले दिनों में अपने ज्यादा से ज्यादा खेतों को रसायन मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

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