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इंटीग्रेटेड फार्मिंग किसानों के लिए है मुनाफे का सौदा

 

कमाई में होगा बंपर इजाफा

 

किसान शुरुआत में नए मॉडल को अपनाने में कतराते हैं, लेकिन जैसे ही मुनाफा होने लगता है, उन्हें यह रास आने लगता है.

इसी तरह का एक मॉडल है, इंटीग्रेटेड फार्मिंग. इसे बड़ी संख्या में किसान अपना रहे हैं और कमाई बढ़ा रहे हैं.

 

खेती के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. इनकी सफलता से किसानों की आमदनी बढ़ रही है और वे बेहतर जीवन जी रहे हैं.

नई तकनीक और अपडेटेड सिस्टम ने उस धारणा को गलत साबित कर दिया है कि खेती घाटे का सौदा है.

कई किसान ऐसे हैं जो नए प्रयोग कर खेती से हर साल लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.

 

पारंपरिक खेती करने वाले किसान शुरुआत में नए मॉडल को अपनाने में कतराते हैं, लेकिन जैसे ही मुनाफा होने लगता है, उन्हें यह रास आने लगता है.

इसी तरह का एक मॉडल है, इंटीग्रेटेड फार्मिंग. इसे बड़ी संख्या में किसान अपना रहे हैं और कमाई बढ़ा रहे हैं.

 

क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिग?

इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम यानी एकीकृत कृषि प्रणाली विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए है.

बड़े किसान भी इस प्रणाली के जरिए खेती कर मुनाफा कमा सकते हैं.

एकीकृत कृषि प्रणाली का मुख्य उदेश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का सही तरीके से इस्तेमाल करना है.

इसके तहत आप एक ही साथ अलग-अलग फसल, फूल, सब्जी, मवेशी पालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि कर सकते हैं.

इससे आप अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे. लागत में कमी आएगी और उत्पादकता बढ़ेगी.

एकीकृत कृषि प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल है और यह खेत की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ाती है.

 

क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग का लाभ?

इस प्रणाली से खेती करने पर किसानों को कई तरह के लाभ होते हैं…

  • उत्पादकता बढ़ती है.
  • किसान अधिक से अधिक मुनाफा कमाते हैं.
  • कृषि कार्यों के लागत में कमी आती है.
  • खेत की उर्वरक क्षमता में वृद्धि होती है.
  • संशाधनों का पूरा उपयोद हो पाता है.
  • जोखिम कम है.
  • रोजगार के अवसर बनते हैं.

 

कैसे एकीकृत खेती कर रहे हैं किसान?

डीडी किसान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड की राजधानी रांची जिले में पड़ने वाले एक गांव में किसान एकीकृत खेती कर रहे हैं.

वे पांच एकड़ जमीन पर धान के साथ फूल और सब्जी की फसल उगा रहे हैं.

इसके अलावा यहां पर मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और दूध का उत्पादन भी हो रहा है. खेती करने वाले बताते हैं कि वे जरूरत मंद किसानों को कृषि उपकरण किराए पर भी देते हैं. इससे भी आमदनी होती है.

 

खेती करने वाले किसान के मुताबिक, पांच एकड़ जमीन पर अलग-अलग फसल, फूल, सब्जी और पशुपालन के कई फयादे हैं.

वे कहते हैं कि पशुओं के लिए चारा की कमी नहीं होती है.

उनके गोबर से कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है, जिससे खेती की लागत में कमी आती है. अलग-अलग फसल की बुआई से खेत की उर्वरक शक्ती बढ़ती है और पैदावार ज्यादा होती है, जिससे कमाई बढ़ती है.

वे बताते हैं कि पांच एकड़ जमीन पर एकीकृत कृषि प्रणाली के जरिए हर साल करीब 8 लाख रुपए की कमाई हो रही है.

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