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चने का पर इल्ली व जड़ सूखने की समस्या से किसान परेशान

 

सेमी लूपर इल्ली व जड़ सूखने की समस्या

 

एक सप्ताह से छाए बादलों के कारण चने के पौधों में सेमी लूपर इल्ली व जड़ सूखने की समस्या सामने आ रही है। अचानक तापमान बढ़ने से यह स्थिति बन रही है।

एक बाय एक मीटर के दायरे में अगर इल्लियों की संख्या तीन से चार है तो उपचार की जरुरत नहीं।

अगर यह बढ़कर दस से बारह हो रही है तो तुरंत उपचार के लिए सलाह दी जा रही है।

कृषि विज्ञानीों के अनुसार हर ब्लाक से किसानों के फोन इल्ली होने व फसल उपचार के लिए आए हैं। इसे लेकर किसान परेशान है।

 

उपचार जरूरी है

मौसम परिवर्तन व तापमान में बढ़ोतरी चने की फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।

बोवनी शुरु होने के बाद 20 से 30 दिनों की फसल हो चुकी है। 35 से 40 दिनों के बाद यह फुल अवस्था तक पहुंच जाएगी।

उसके पहले सेमी लूपर जिसे स्थानीय भाषा में कूबड़ वाली इल्ली कहा जाता है उसका प्रभाव दिख रहा है।

विज्ञानीों के अनुसार यह इल्ली पत्तियों को खाती है। अगर इसकी संख्या कम है तो यह फायदे वाली है।

क्योंकि पत्तियां खाने से उस जगह कोपल फूटने की स्थिति बनती है। इससे चने की शाखाओं की संख्या भी बढ़ जाती है। वहीं अगर यह अधिक संख्या में है तब उपचार जरूरी है।

कृषि अनुसंधान केंद्र के विज्ञानीों के पास खंडवा, छैगांवमाखन, पंधाना, हरसूद व मूंदी ब्लाक से फोन पहुंचे थे।

किसानों ने खेत में इल्ली नजर आने की जानकारी दी। वहीं इनकी संख्या बढ़ने पर उपचार की जानकारी भी ली है।

 

जड़ सूखने की समस्या

लगभग सभी ब्लाकों से चने की जड़ सूखने की समस्या सामने आई है।

जिसका कारण सही बीजोपचार या पोटास नहीं देना सामने आया है।

कई किसानों के यहां चार से पांच फीसद फसल में यह स्थिति दिख रही है। जिसे लेकर वे भी चिंतित नजर आ रहे हैं।

 

बलड़ी में गेंहू में दीमक की जानकारी

रबी के सीजन में चने या गेंहू में दीमक होने की समस्या भी शुरुआत में सामने आती हैं।

कृषि विज्ञानियों के पास बलड़ी क्षेत्र में दीमक की जानकारी प्राप्त हुई। जिसके बाद संबंधित ग्रुप पर ही उपचार भी बताया गया।

वहीं अन्य किसानों से निगरानी रखने के लिए आग्रह किया गया।

 

चने की जड़ सड़न पर यह बताया उपचार

रासायनिक नियंत्रण : खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत, डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर जड़ क्षेत्र में ड्रेंचिंग करें।

जैविक नियंत्रण : ट्राइकोडर्मा विरडी 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 40 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर बुरककर कर सिंचाई करें।

 

इल्ली की संख्या अधिक होने पर यह बताया उपचार

प्राकृतिक उपचार : एक एकड़ क्षेत्र में 25 से 25 टी आकार की खूटियां बनाकर लगवाएं। इससे पक्षी आकर बैठेंगे व इल्ली खाएंगे। इससे प्राकृतिक रुप से उपचार होगा।

 

चने में अगर एक बाय एक मीटर में दस से अधिक इल्ली नजर आए तो सलाह पर ही छिड़काव करें।

दो से चार रहने पर प्राकृतिक उपचार करें। चने की जड़ सूखने की समस्या भी सामने आई है। गेंहू में भी इल्ली की सूचना लगी है।

इसकी जानकारी ली जा रही है। बादलों के कारण कीट व इल्ली को अनुकूल वातावरण मिल रहा है। बादल साफ होते ही ठंडक होने से यह समस्याएं समाप्त होगी।

-डा. सौरभ गुप्ता कृषि विज्ञानी

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