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एक ही भूमि पर दो बैंकों से ऋण नहीं ले पाएंगे किसान

 

खसरे में होगी इंट्री

 

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से दिए जाने वाले ऋण का होगा उल्लेख।

 

अभी सिर्फ खसरे की नकल देकर दिया जाता है ऋण

 

प्रदेश में अब किसान एक ही भूमि पर दो बैंकों से ऋण नहीं ले पाएंगे। इसके लिए सरकार अभियान चलाकर संबंधित भूमि पर लिए अल्पावधि फसल ऋण को खसरे में दर्ज करने जा रही है।

इससे सभी बैंकों को यह पता रहेगा कि किस किसान ने किस बैंक से किस खसरे पर ऋण लिया है।

इसके लिए राजस्व विभाग ने सहकारिता विभाग को माड्यूल तैयार करके दिया है।

प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां इसमें ऋण लेने वाले किसान से संबंधित भूमि के खसरे में जानकारी दर्ज करेंगी।

अभी सिर्फ खसरे की नकल लेकर ऋण दिए जाने की व्यवस्था है।

 

भुगतान को लेकर समस्या आती है

प्रदेश के राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ऋण वसूली और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के भुगतान से जुड़े मामलों में यह सामने आया था कि किसान एक ही भूमि पर एक से अधिक बैंकों से ऋण ले लेते हैं।

ऐसे में वसूली या फिर भुगतान को लेकर समस्या आती है।

सीएम हेल्पलाइन में भी फसल बीमा का भुगतान नहीं होने की शिकायत की जांच में यह बात सामने आई किसान को एक बैंक से बीमा का भुगतान हो चुका है।

जबकि, उसने जानकारी छुपाकर दूसरे बैंक से भी उसी भूमि पर बीमा कराया था।

 

खसरे में ऋण का उल्लेख करने का निर्णय

इस तरह की समस्या बार-बार सामने आने पर सहकारिता विभाग ने राजस्व के अधिकारियों से बात की और फिर खसरे में ऋण का उल्लेख करने का निर्णय लिया है।

कृषि और सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने बताया कि सहकारी समितियां किसानों को अल्पावधि फसल ऋण खसरे की नकल लेकर देती हैं।

इससे आधार पर पात्रता के अनुसार ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसी ऋण पर प्रधानमंत्री फसल बीमा भी होता है।

 

कई बार किसान अन्य बैंकों से भी संबंधित भूमि पर ऋण ले लेते हैं। इससे वसूली में समस्या आती है और समय पर ऋण नहीं चुकाने से किसान डिफाल्टर हो जाता है।

इसके मद्देनजर यह तय किया है कि खसरे में ही यह उल्लेख कर दिया जाएगा कि किसान ने समिति से ऋण लिया है।

12 से 15 फीसद खसरों में जानकारी भी दर्ज हो गई है।

आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटील ने बताया कि सहकारी संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले ऋण अभी खसरे में दर्ज नहीं होते हैं।

इसके लिए सहकारिता विभाग को माड्यूल बनाकर दिया है।

 

35 लाख से ज्यादा किसान लेते हैं ऋण

प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से खरीफ और रबी सीजन में 35 लाख से ज्यादा किसान अल्पावधि फसल ऋण लेते हैं।

अपेक्स के प्रबंध संचालक पीएस तिवारी ने बताया कि सहकारी समिति के माध्यम से सालाना दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर देते हैं।

 

इसके लिए सिर्फ खसरे की नकल ली जाती है। अब खसरे में ऋण संबंधी जानकारी भी दर्ज की जाएगी और यह राजस्व विभाग के पोर्टल पर उपलब्ध रहेगी।

इससे दूसरे बैंकों को यह पता होगा कि संबंधित खसरे पर ऋण लिया गया है और वो बंधक है।

इससे एक भूमि पर दो जगह से ऋण लेने संबंधी गड़बड़ी नहीं होगी।

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