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अक्टूबर में होने वाली सौंफ की खेती

 

उन्नत किस्मों से लेकर बुवाई और सिंचाई तक

 

सौंफ की खेती का सही समय अक्टूबर होता है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही इसकी खेती शुरू हो जाती है.

इस खबर में हम सौंफ की खेती के बारे में जानेंगे, जैसे उसकी उन्नत खेती से लेकर उसकी उन्नत किस्मों तक.

 

मसाले की खेती में सौंफ का अपना अलग स्थान है. स्वाद के लिए इसे विभिन्न पकवानों में तो डाला ही जाता है, साथ ही खाने के बाद इसे कच्चा खाने का चलन भी खूब है.

परंपरा से हटकर खेती की करने की सोच रहे किसानों के लिए सौंफ की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

 

सौंफ की खेती का सही समय अक्टूबर होता है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही इसकी खेती शुरू हो जाती है.

इस खबर में हम सौंफ की खेती के बारे में जानेंगे, जैसे उसकी उन्नत खेती से लेकर उसकी उन्नत किस्मों तक.

 

फसल संरक्षण

  • छाछ्या रोग:  20 से 25 किलोग्राम सल्फर पाउडर का खड़ी फसल पर भुरकाव किया जाना चाहिए या 0.2 प्रतिशत भीगने वाले सल्फर का छिड़काव करना चाहिए.
  • झुलसा रोग: (रेमूलेरिया ब्लाईट एवं अल्टरनेरिया ब्लाईट) रोग आने से पूर्व ही मैन्कोजेब अथवा जिनेब 0.2 प्रतिशत या प्रोपिकोनाजोल 0.1 प्रतिशत का छिड़काव रोग की अवस्था के अनुसार करना चाहिए.
  • माहू या एफिड:  डॉइमेथोएट 0.03 प्रतिशत या इमेडाक्लोरॉफीड 0.003 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए.

 

फसल सुधार

  • उपयुक्त जलवायु: यह फसल ठंड के मौसम की प्रमुख फसल है.
  • मृदा का चयन : 6.5-8.0 पीएच मान युक्त, उचित जल निकास वाली दोमट मृदाएं सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त पाई गई हैं.
  • बीज की उन्नत प्रजातियां:  अजमेर फेंनल-1, अजमेर फेंनल-2, आर.एफ.-101, आर.एफ-125, आर.एफ-143 ओर गुजरात फेंनल-1
  • बुवाई का समय: अक्टूबर का प्रथम सप्ताह
  • बीज दर: 8 से 10 किलाग्राम बीज प्रति हेक्टेयर सीधी बुवाई के लिए 2.5-3.0 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पौध तैयार करने के लिए.
  • बीज उपचार:  कार्बेन्डेजिम और केप्टान 2.5-3 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज या ट्राईकोर्डमा 4-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीजप्रति हेक्टेयर से उपचारित करना चाहिए.

 

फसल उत्पादन
  • फसल ज्यामिति: कतार से कतार की दूरी 50-60 से.मी. ओर पौधे से पौधे की दूरी 25-30 से.मी.
  • खाद एवं उर्वरक: 8-10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट को बुआई से एक माह पहले खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए. 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फेट तथा 30 किलोग्राम पोटाश. नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फॉस्फोरस तथा पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा अन्तिम जुताई के समय खेत मे मिला देनी चाहिए और शेष मात्रा बुआई के 30 एवं 60 दिनों के बाद टॉपड्रेसिंग के रूप में सिंचाई के साथ दिया जाना चाहिए्
  • सिचांई: 6 से 8 सिंचाई 15 से 25 दिनों के अन्तराल में, मौसम एवं मिट्टी के अनुसार.
  • खरपतवार नियंत्रण: ऑक्सीडाइआर्जिल का बुआई के बाद तथा बीज अंकुरण से पहले 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए इसके बाद बुवाई के 40 दिनों के बाद गुड़ाई करनी चाहिए.
  • उत्पादन:  20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

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