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7275 रूपये प्रति क्विंटल की दर से मूंग ख़रीदेगी सरकार

18 जुलाई से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन

 

किसानों ने गर्मी के सीजन में मूँग का भरपूर उत्पादन तो किया परंतु बाजार में इसकी बहुत कम कीमत मिलने के चलते किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।

किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूँग खरीदने की घोषणा की थी, जिसके लिए राज्य की सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति माँगी थी जो मिल गई थी, परंतु अभी तक किसानों से खरीदी शुरू नहीं हो पाई है।

जिससे राज्य के कई किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।

 

जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने आज फिर से राज्य में 18 जुलाई से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूँग खरीदने के लिए पंजीयन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में किसानों ने मेहनत से ग्रीष्मकालीन मूंग पैदा की है।

मूंग के दाम बाजार में समर्थन मूल्य से काफी कम है। जिसको देखते हुए सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूँग खरीदने का फैसला लिया है।

 

18 जुलाई से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन

  • मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हम अपने किसानों को न्याय देंगे और उनकी मूंग, न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदी जाएगी।
  • मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मूंग खरीद के लिए राज्य सरकार 18 जुलाई से रजिस्ट्रेशन प्रारंभ कर रही है।
  • मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवास कार्यालय से मीडिया के लिए जारी संदेश में यह बात कही।

 

किसानों से कितना मूँग खरीदा जाएगा

अभी सरकार द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है लेकिन मध्य प्रदेश में वर्ष 2022–23 के सीजन में जायद मूंग का उत्पादन लगभग 16 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

राज्य सरकार ने 8 जून 2022 को जारी प्रेस रिलीज में यह जानकारी दी थी कि राज्य सरकार ने 4 लाख 3 हजार मीट्रिक टन मूंग खरीदी का अनुरोध किया है।

इसके जवाब में केंद्र सरकार ने मूंग खरीदी का लक्ष्य 2 लाख 25 हजार 525 मीट्रिक टन दिया गया था।

 

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष भी राज्य के किसानों से ग्रीष्म कालीन मूंग की खरीदी की थी।

जिसके तहत राज्य के 301 खरीदी केन्द्रों से 4 लाख 39 हजार 563 मीट्रिक टन मूंग की खरीदी की गई थी।

इससे राज्य के 1 लाख 85 हजार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हुआ था।

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