सफेद प्याज को मिला जीआई टैग
महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के अलीबाग के मशहूर सफेद प्याज को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिल गया है टैग मिलने से सफेद प्याज को पहचान मिली है और उसके लिए व्यापक बाजार का मार्ग प्रशस्त हुआ है.
सफ़ेद प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है, भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा की जाती है.
अलीबाग में सफ़ेद प्याज़ खेती बड़े पैमाने पर किया जाता है .
अलीबाग के सफेद प्याज (white onion )का वर्ष 1983 के आधिकारिक गजट में उल्लेख किया गया था.
इस प्याज में औषधीय गुण हैं, जिसका प्रयोग हृदय रोग, कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रण एवं इंसूलिन निर्माण में किया जाता है.
एक अधिकारी ने कहा, यहां के कृषि विभाग और कोंकण कृषि विश्वविद्यालय ने 15 जनवरी 2019 को जीआई टैग( GI tag )के लिए आवेदन किया था.
इस साल 29 सितंबर को पेंटेंट पंजीयक के मुंबई कार्यालय में प्रस्ताव की जांच की गई थी.
और अलीबाग के सफेद बाग को जीआई टैग देने का फैसला किया गय . प्याज़ की फसल से प्रति एकड़ करीब दो लाख की औसत आमदनी होती है.
सफ़ेद प्याज़ की खेती करने वालों को मिलेगा फायदा
महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के अलीबाग के मशहूर सफेद प्याज का ‘भौगोलिक संकेतक’(जीआई टैग)मिल गया है जिससे उसे अनोखी पहचान मिली है.
जीआई मिलने के बाद अब इसकी इंटरनेशनल मार्केटिंग आसान हो जाएगी.
सफ़ेद प्याज़ फसल से प्रति एकड़ करीब दो लाख की औसत आमदनी होती है.
जीआई टैग का लाभ
किसी वस्तु या फसल को किसी स्थान विशेष का जीआई टैग मिल जाने से इन सभी को उस जगह की स्पेशलिटी मान लिया जाता है.
जिससे देशभर में उसे उस जगह के नाम से पहचान मिलती है.
जीआई टैग मिलने से उस उत्पादित प्रोडक्ट के साथ क्वालिटी का पैमाना भी जुड़ जाता है. किसानों को इससे फसल के अच्छे दाम मिलते हैं.
सफेद प्याज की खेती किन-किन राज्यों में कि जाती है
सफेद प्याज की महाराष्ट्र में सबसे बड़े पैमाने पर की जाती है.
तो वही.गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है.
महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है.
खरीफ में यह 110-115 दिन और पछेती खरीफ में 120-130 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है.
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