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प्याज की फसल में खरपतवार को नियंत्रित कैसे करें?

 

इन दिनों देश के अधिकतर हिस्सों में रबी प्याज की फसल अपनी वानस्पतिक अवस्था पर पहुँच चुकी है.

 

इस समय फसल पर खरपतवार होने पर उपज में भारी कमी तो देखने को मिलती ही है साथ ही साथ रोग व कीटों के बीजाणु भी यहाँ शरण आते हैं. इसलिए फसल को खरपतवारमुक्त करना जरूरी है. ये खरपतवार फसल को दिये गए पोषक तत्व या खाद को खुद ले लेते हैं और फसल को पूरा उर्वरक नहीं मिल पाता.

 

प्याज की फसल में अलग- अलग अवस्थों पर कई बार निराई-गुड़ाई करके या रसायनिक तरीकों से खरपतवार से बचना पड़ता है. इसलिए अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए समय-समय पर खरपतवार प्रबंधन करना बहुत जरूरी हो जाता है.

प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए दिये गए सुझाओं को अपनाया जा सकता है-

  • फसल में पहली निराई बुवाई के 25-30 दिन बाद और दूसरी निराई बुवाई के 60-65 दिनों बाद करनी जरूरी हो जाता है. ये अवस्था क्रांतिक अवस्था (Critical state) कहलाती है जिसमें ध्यान न देने पर उपज में भारी कमी हो जाती है.  
  • बुवाई के 3 दिनों के बाद प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. ताकि फसल में दोनों प्रकार के संकरी और चौड़ी पत्ती (Narrow & Broad type leaves) के खरपतवार को उगने से पहले ही नष्ट किया जा सके. इस दवा का प्रयोग करते समय ध्यान रहे खेत में उचित नमी रहे या हल्की सिंचाई करने के बाद प्रयोग किया जा सकता है.    
  • प्याज की फसल में बुवाई के 10-15 दिनों के बाद भी यदि खरपतवार की समस्या खेत में दिखाई दे तो ऑक्साडायर्जिल 80% WP खरपतवारनाशी 50 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर साफ पानी में मिलाकर खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग क्या जा सकता है. 
  • प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC खरपतवारनाशी का प्याज लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग कर सकते है. इसके लिए इस खरपतवारनाशी की 250-350 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें. ताकि फसल में लगने वाले खरपतवार को नष्ट कर फसल की उत्पादकता बढ़ सके. 

 

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खरपतवारनाशी के इस्तेमाल में रखें ये ध्यान 

  • खरपतवारनाशी (Herbicide) का घोल तैयार करने के लिए खरपतवारनाशी व पानी की उचित मात्रा का ही उपयोग करना चाहिए. एक एकड़ क्षेत्र में 200 लीटर पानी स्प्रे करने में उचित रहता है.
  • जितना हो सके खरपटवारनाशी के बजाय हाथों से निराई गुड़ाई ही करें क्योंकि इससे मिट्टी में वायु संचार भी बढ़ता है और उपज भी बढ़ती है.
  • प्याज फसल में छिड़काव करते समय उचित नोजल फ्लड जेट या फ्लेट फेन का ही उपयोग करना चाहिए और फसल को बचाते हुए छिड़काव करें.
  • शाकनाशी रसायनों की उचित मात्रा का ही प्रयोग करें. अगर सिफारिश की गई दर से अधिक शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है तो खरपतवारों के अलावा फसल को भी नुकसान होता है. 
  • शाकनाशी रसायनों को उचित समय पर छिड़कना चाहिए. अगर छिड़काव समय से पहले या बाद में किया जाता है तो लाभ के बजाय हानि की संभावना बढ़ जाती है.  
  • एक ही दवा (रसायनों) का बार-बार फसलों पर छिड़काव न करें बल्कि बदल-बदल कर करें. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो खरपतवारों में शाकनाशी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो सकती है और दवा का असर नहीं हो पता.
  • छिड़काव के समय मृदा में सही नमी होना चाहिए या सिंचाई के बाद खरपतार नाशी का प्रयोग करना चाहिए. इसके साथ ही पूरे खेत में छिड़काव एक समान होना चाहिए.
  • छिड़काव के समय मौसम साफ़ होना चाहिए. तेज धूप और आसमान में बादल छाए रहने पर खरपतवारनाशी के उपयोग से बचना चाहिए. इसका सबसे उचित समय शाम को करना चाहिए.   
  • यदि दवा इस्तेमाल से ज्यादा खरीद ली गई है तो उसे ठंडे, शुष्क एवं अंधेरे स्थान पर रखें तथा ध्यान रखें कि बच्चे एवं पशु इसके सम्पर्क में न आएं. 
  • छिड़काव समाप्त होने के बाद दवा छिड़कने वाले व्यक्ति साबुन से अच्छी तरह हाथ व मुँह अवश्य धो लें.
  • फसल में उपयोग करते समय ध्यान रखे कि रसायन शरीर पर न पड़े. इसके लिए विशेष ड्रेस, दस्ताने, चश्में का प्रयोग करें अथवा उपलब्ध न होने पर हाथ में पॉलीथीन लपेट लें तथा चेहरे पर गमछा या सूती कपड़े से बांध लें.
  • प्रयोग के पश्चात खाली डिब्बों को नष्ट कर मिट्टी में दबा दें. इसे साफ़ कर इसका प्रयोग खाद्य पदार्थो को रखने के लिए कतई न करें. 

 

source : krishijagran

 

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