एक बीघा में हजारों की आमदनी
शिवपुरी की 140 महिला किसान खेती के मामले में कर रहीं नवाचार बदलाव – छोटे-छोटे खेतों से हो रही है तीन गुना तक आमदनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं शिवपुरी की महिला किसानों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए मल्टीलेयर फार्मिंग के जरिये आय तीन गुनी तक कर ली है। पांच गांवों की 140 महिलाओं ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और एनजीओ जतन उजाला सेवा संस्थान के मल्टीलेयर फार्मिंग प्रोजेक्ट में प्रशिक्षण लिया। फिर अपने खेत में करीब दो हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल की एक इकाई तैयार की।
अब इससे वे लगभग एक बीघा जमीन (22 हजार वर्ग फीट) में 30 हजार रुपये तक मुनाफा कमा रही हैं। नाबार्ड ने इस प्रोजेक्ट संचालन में संस्थान की मदद ली थी। संस्थान ने उससे जुड़े स्वसहायता समूह की महिलाओं का ही चयन किया। सितंबर 2019 में इसके तहत रायश्री, ककरवाया, चिटोरी, मुढेरी और गुगरीपुरा गांव की समूह से जुड़ी 140 ऐसी महिलाओं का चयन किया गया, जिनके पास छोटे खेत हैं और उनमें सिंचाई की सुविधा भी है।
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संस्थान के सचिव अशोक शर्मा बताते हैं कि नाबार्ड के सहयोग से प्रशिक्षण देकर 2,000 वर्ग फीट की एक इकाई तैयार करवाई गई। पहली परत (लेयर) में जमीन में गहराई में होने वाली अदरक, दूसरी परत में धनिया, पालक या मेथी (इनकी जड़ें कम गहरी होती हैं) और तीसरी परत (जमीन के ऊपर) बेल वाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई की खेती का प्रशिक्षण दिया गया।
इसके बाद कई महिला किसानों ने इसे शुरू भी कर दिया। अधिकतर किसान तीन सीजन की फसलें चुकी हैं। अब अंचल के किसान आकर महिलाओं से मल्टीलेयर फार्मिंग का मॉडल समझ रहे हैं। ऐसे होती है मल्टीलेयर फार्मिंग इसमें एक फसल चक्र लगभग चार माह का होता है।
मौसम के अनुसार इसमें फसल (ज्यादातर सब्जियां) का चयन किया जाता है। सबसे नीचे की परत में अदरक, हल्दी, लहसुन, प्याज, मूली बोए जाते हैं। इनके पौधों के बीच कम से कम छह से आठ इंच की दूरी होना चाहिए। इसके ऊपर या दूसरी परत में पालक, मेथी, धनिया के साथ पत्तेवाली हरी सब्जियां उगाई जाती हैं।
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इस परत में ऐसी फसल के बीज लगाने होते हैं जो छांव में भी अच्छे से पनप सकें। तीसरी परत जमीन के ऊपर होती है। बांस को लगभग एक फीट दूरी पर लगाकर शेड जैसा तैयार किया जाता है।इस पर बेल वाली फसल जैसे लौकी, तोरई, करेला और खीरा लगाई जाती है और इन शेड या बांसों पर उसे चढ़ा दिया जाता है।
इनका कहना है
लौकी की बहुत अच्छी फसल निकली थी। अदरक भी आने वाला है। हमने चारों ओर पपीते के पौधे भी लगाए हैं। इस तरह से लौकी लगाने से जमीन के मुकाबले ज्यादा बेहतर फल मिलता है और कीमत भी अच्छी मिलती है।
बसंती कुशवाह, महिला किसान
रस तहसील में टमाटर का उत्पादन होता है। इसमें छह फीट तक दूसरी खेती की जा सकती है। वहीं मनरेगा की नंदन फलोद्यान योजना में पेड़ों की कतार में पांच फीट का अंतर होता है। शुरुआती दो साल तक इसमें किसान को फायदा भी नहीं होता है। अब यहां शुरू के दो साल मल्टीलेयर फार्मिंग कराएंगे।
source : naidunia
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