हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
WhatsApp Group Join Now

भारत में खेती-किसानी की तरक्की का साथी बनेगा इजराइल

 

इंडो-इजराइल एग्रीकल्‍चरल प्रोजेक्‍ट के जरिए किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार, जानिए कृषि में भारत को कितना सहयोग दे रहा है इजराइल. 

 

अपने रक्षा साजो-सामान के लिए चर्चित इजराइल भारत में खेती-किसानी की तरक्की में अपने योगदान को और बढ़ाएगा.

इजराइल खेती के क्षेत्र में भी काफी आगे है. वो इस क्षेत्र में भारत को 1993 से ही सहयोग दे रहा है. दोनों के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक बार फिर 3 वर्षीय प्रोग्राम का करार हुआ है.

दोनों देशों के बीच तकनीक के आदान-प्रदान से उत्‍पादकता व बागवानी की गुणवत्‍ता में बहुत सुधार होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी.

एक कार्यक्रम में दोनों सरकारों ने कृषि तथा जल क्षेत्र पर केंद्रित रहने की जरूरत को स्‍वीकार करते हुए अधिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्‍यक्‍त की है.

 

यह भी पढ़े : अब 30 जून तक जमा कर सकेंगे KCC पर लिया गया लोन

 

मिलेगा किसानों को लाभ

भारत में इजराइल के राजदूत डॉ. रोन मलका ने कहा कि यह तीन-वर्षीय कार्यक्रम हमारी बढ़ती भागीदारी की मजबूती को दर्शाता है.

इससे स्‍थानीय किसानों को लाभ पहुंचेगा. कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला व कैलाश चौधरी भी मौजूद रहे.

कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि नए कार्यक्रम के दौरान हमारा ध्‍यान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आसपास के गांवों को विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस में बदलने पर केंद्रित रहेगा.

इजराइल रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ कृषि तकनीक में भी काफी आगे है. दोनों देशों में बहुत गहरे संबंध हैं.

 

नए प्रोग्राम में क्या होगा ?

  • इजराइल के नए कृषि प्रोग्राम का लक्ष्‍य मौजूदा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ाना, नए केंद्र स्‍थापित करना, आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा सहयोग को प्रोत्‍साहित करना है.
  • इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस एक नई संकल्‍पना है. जिसका लक्ष्‍य 8 राज्‍यों के 75 गांवों में 13 सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस के समीप कृषि में इकोसिस्‍टम विकसित करना है.
  • इससे परंपरागत खेत इंडो-इजराइल एग्रीकल्‍चरल प्रोजेक्‍ट के मानकों के आधार पर आधुनिक-सघन फार्मों में बदल जाएंगे.

 

यह भी पढ़े : किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए मुफ्त में बीज देगी सरकार

 

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, यह 5वां आईआईएपी ( इंडो-इजराइल एग्रीकल्‍चरल प्रोजेक्‍ट) सेंटर्स ऑफ एक्‍सीलेंस बागवानी क्षेत्र में कृषक समुदाय को लाभ देगा.

सबसे पहले आईआईएपी पर वर्ष 2008 में 3 साल के लिए हस्‍ताक्षर किए गए थे. अब तक हम 4 कार्ययोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी कर चुके हैं.

इजरायली तकनीकों पर आधारित इन कार्ययोजनाओं के तहत स्‍थापित सीओई अब तक बहुत सफल रहे हैं.

यह किसानों की आय दोगुनी करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

 

इजराइल के साथ भारत में कृषि कार्यक्रम

  • इजराइल यहां आईआईएपी के अलावा इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस प्रोग्राम भी चला रहा है. एकीकृत बागवानी विकास मिशन और अंतर्राष्‍ट्रीय विकास सहयोग के लिए इजराइल की एजेंसी ‘मशाव’ नेतृत्‍व कर रही है.
  • भारत में खासतौर पर इजराइल की टपकन सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) पद्धति से किसानों को काफी फायदा मिला है.
  • स्‍थानीय जलवायु परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते इजराइल की कृषि-तकनीक से तैयार उन्नत-सघन कृषि फार्मों को कार्यान्वित करने के लिए भारत के 12 राज्‍यों में 29 सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस (सीओई) काम कर रहे हैं.
  • सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस किसानों को सर्वोत्‍तम पद्धतियों का प्रदर्शन दिखाते हैं. यहां किसानों को ट्रेनिंग भी मिलती है.
  • ये सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस हर साल 25 मिलियन से अधिक गुणवत्‍तायुक्‍त सब्‍जी व 387 हजार से ज्यादा फल के पौधों का उत्‍पादन करते हैं. बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के बारे में हर साल 1.2 लाख से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग देते हैं.

 

यह भी पढ़े : 7196 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर होगी मूंग की खरीदी

 

source

 

शेयर करे