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मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध ‘शरबती’ गेहू की चमक हो रही खत्म

कृषि विभाग ने कहाृ इंदौर जिले में फसलों का सिर्फ दो से चार प्रतिशत नुकसान ही।

बेमौसम बरस रही बूंदें और ओले किसानों पर ही नहीं, लोगों पर भी भारी पड़ने जा रहे हैं।

कृषि विभाग कह रहा है कि इंदौर जिले में किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

इससे इतर पूरा सच यह है कि पूरे देश में प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के गेहूं की गुणवत्ता मौसम के बिगड़े मिजाज ने खराब कर दी है।

प्रदेश की मशहूर गेहूं की किस्मों शरबती, चंदौसी की चमक ओलों और वर्षा ने चुरा ली है।

सोमवार से ही बाजार में इसका असर भी नजर आने लगा।

गेहूं-आटा के दाम बढ़ने लगे हैं और अच्छी गुणवत्ता के गेहूं इस साल महंगी कीमतों पर उपभोक्ताओं को खरीदने होंगे।

 

महंगा होगा गेहूं-आटा

इंदौर की दो प्रमुख अनाज मंडियों संयोगितागंज और लक्ष्मीबाई अनाज मंडी में सोमवार को 25 हजार बोरी से ज्यादा गेहूं बिक्री के लिए पहुंचा।

हालांकि, हजारों बोरियों में बमुश्किल 10 प्रतिशत ही अच्छी क्वालिटी वाला गेहूं मंडी में आया।

कारोबारी और दलाल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल अगीवाल के अनुसार, शनिवार से सोमवार के बीच ही गेहूं के दामों में 100 से 200 रुपये का उछाल आ गया है।

दामों में ज्यादा बढ़ोतरी अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं जो आम उपभोक्ता खरीदते हैं, उसमें हो रही है।

चाहे वह लोकवन गेहूं हो, चंद्रौसी हो या पूर्णा किस्म का गेहूं।

लोकवन गेहूं जो बारिश का दौर शुरू होने के पहले और नई फसल की शुरुआत में 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा था अब फिर से 2600 रुपये हो गया है।

 

पूरे देश में बिकता है मध्य प्रदेश का गेहूं

मप्र में रबी के सीजन में पंजाब, हरियाणा जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के मुकाबले कम सर्दी होती है, ऐसे में हमारे प्रदेश के गेहूं की चमक ज्यादा अच्छी होती है।

इसी सुनहरे रंग के कारण मप्र का गेहूं अब पूरे देश में बिकने लगा।

इस वर्ष गेहूं का उत्पादन तो ज्यादा है, लेकिन अब मार्च में आई बरसात मप्र के गेहूं की गुणवत्ता खराब कर रही है।

पानी लगने से गेहूं का रंग और चमक फीकी पड़ जाती है।

रानीसती फूड्स के डायरेक्टर लोकेश अग्रवाल के अनुसार, अच्छे गेहूं की कमी से आटा के दाम भी सोमवार से बढ़ा दिए गए हैं।

मिलों ने अपनी आपूर्ति 2600 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम दाम से शुरू की है।

पहले गेहूं का अच्छा उत्पादन देखकर उम्मीद थी कीमतें कम होंगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता।

 

3000 रुपये क्विंटल से कम नहीं

मंडी के कारोबारियों के अनुसार, ताजा स्थिति से लग रहा है कि चंदौसी और अन्य अच्छी क्वालिटी का रोटी वाला गेहूं जो उपभोक्ता वार्षिक संग्रहण के लिए खरीदते हैं, वह इस सीजन में भी 3000 रुपये प्रति क्विंटल या उससे ज्यादा की कीमत पर ही मिलेगा।

बीते वर्ष रूस-यूक्रेन युद्ध के दौर में वैश्विक अनाज संकट और भारत से बड़े निर्यात से दाम बढ़े थे।

लेकिन इस वर्ष निर्यात बंद होने और अच्छी फसल होने के बाद भी बरसात के असर से गेहूं के दाम ऊंचे रहेंगे।

पानी लगा गेहूं समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी और आटा मिलों में अपेक्षाकृत कम दामों पर बिकेगा।

 

दो से चार प्रतिशत ही नुकसान

कृषि विभाग के उपसंचालक एसएस राजपूत के अनुसार, इंदौर जिले में ओलावृष्टि नहीं हुई। बरसात के पहले फसल पक चुकी थी।

ऐसे में सिर्फ गेहूं की गुणवत्ता खराब होगी। विभाग सर्वे व जानकारी जुटा रहा है।

अभी तक की स्थिति में इंदौर जिले में सिर्फ दो से चार प्रतिशत नुकसान का ही आकलन है।

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