प्राकृतिक खेती
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के अनुभवों का लाभ उठाएगी प्रदेश सरकार
जैविक खेती पर बेहतर काम होने के बाद अब मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की तैयारी है।
इसके लिए सरकार गुजरात के ज्यपाल आचार्य देवव्रत के अनुभवों का लाभ उठाएगी।
साथ ही मांग आधारित खेती पर भी फोकस किया जाएगा।
वर्तमान में प्रदेश में तीन फसलों की खेती होती है, लेकिन प्राकृतिक खेती लगभग समाप्त होने की कगार पर है, जिसे पुनः बढ़ावा देने किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस मुद्दे पर देश भर के कृषि विशेषज्ञों की एक वर्कशॉप भोपाल में होने वाली , जिसमें गुजरात के राज्यपाल भी आमंत्रित किया गया है।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किस मौसम में कौनसी फसल पैदा हो सकती है, इसका क्षेत्र तय करने रोडमैप तैयार किया जाएगा।
क्योंकि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती पर पहले हिमाचल और बाद में गुजरात में काम किया है।
विशेषज्ञों से चर्चा
मप्र में अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर फोकस किया जा रहा है।
इसके लिए सरकार तैयारी कर रही है। इस संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करने वर्कशॉप भी होगी।
सरकार मांग आधारित खेती पर भी काम कर रही है। – अजीत केसरी, एसीएस, कृषि कल्याण विभाग
ऐसे होती है
प्राकृतिक खेती प्राकृतिक खेती में देसी गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग होता है।
इसमें कृषि इनपुट जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई जरूरत नहीं होती। यह कांसेप्ट महाराष्ट्र से शुरू हुआ।
गुजरात के राज्यपाल ने यह कांसेप्ट हिमाचल और बाद में गुजरात में शुरू कराया।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
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