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सर्दी के मौसम में लगाएं ये सब्जियां, अगेती पैदावार बेचने से होगी ज्यादा कमाई

 

कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुआई

 

किसान भाइयों के लिए यह खुशखबर है। इन दिनों सर्दी के मौसम में वे कई ऐसी सब्जियों की फसलें उगा सकते हैं जो कम समय में ही अच्छा मुनाफा दे सकती हैं।

वहीं इन सब्जियों की फसलों की अधिक पैदावार भी होती है। साथ ही समय से पहले फसल तैयार होने के कारण बाजार भाव अच्छे मिलते हैं।

यहां बता दें कि चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों ने कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुआई दिसंबर से जनवरी के मध्य करने की सलाह किसानों को दी है।

वहीं बैंगन और शलजम की भी कई ऐसी फसलें हैं जो भी अधिक ठंड के सीजन यानि इन दिनों लगाई जा सकती हैं।

यहां जानते हैं सर्दी में की जाने वाली इन खास सब्जियों की खेती की संपूर्ण जानकारी।

 

ऐसे करें कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती की तैयारी

यहां बता दें कि कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती साल में दो बार की जा सकती है।

इनकी बुआई का परंपरागत समय अभी तक फरवरी-मार्च  और जून से जुलाई के बीच का रहता है लेकिन अब वैज्ञानिकों के अनुसार अत्यधिक ठंडे मौसम में यानि दिसंबर से जनवरी के मध्य कद्दूवर्गीय सब्जियां उगाई जा सकती हैं।

इन सब्जियों के लिए खेत तैयार करने से लेकर इनकी बिजाई एवं देखभाल आदि की जानकारी होना किसानों के लिए लाभदायक हो सकता है।

जहां तक हो सके सर्दी की इन फसलों को मौसम की मार से बचाने के लिए पॉलिहाउस में ही बोया जाना चाहिए।

खेत तैयार करने के लिए अच्छी गुड़ाई करें, या कल्टीवेटर से खेत की दो या तीन बार जुुताई करें।

इसके बाद कंपोस्ट खाद मिला दें। अब पॉलिटनल के अंदर पानी की नाली एक फीट चौड़ी और एक फीट गहरी बनाएं।

दोनों सिरों की लंबाई के समानांतर लौकी, कद्दू, तोरई, भिंडी आदि की फसल बोई जा सकती है।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की बिजाई के लिए बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें और पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 60 सेमी रखी जाए।

 

लौकी की अच्छी फसल लेने के लिए ये काम करें

जैसा कि किसान भाई जानते हैं कि कद्दू वर्ग की सब्जियों में लौकी प्रमुख फसल है। इसकी मांग साल भर बाजार में रहती है।

सर्दी में बाई जाने वाली लौकी की फसल के लिए किसान खेत में प्रति हैक्टेयर के हिसाब से करीब 15 टन गोबर का खाद, 50 किग्रा.  नत्रजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश डालें।

इसके बाद बीजों की बुआई करें। लगभग एक महीने बाद जब लौकी की बेल में फूल आने लगें तो नत्रजन की दो तिहाई मात्रा डाल दें।

वहीं जड़ो पर मिट्टी चढ़ाना नहीं भूलें। पौधों को आक्सीजन मिलती रहे ऐसा प्रबंध करें। 

 

लौकी की बेलों के लिए बनाएं मजबूत आधार फ्रेम

बता दें कि लौकी सहित अन्य कद्दूवर्गीय फसलों की बेल विस्तार चाहती हैं। इनके लिए आधार निर्माण फ्रेम की जरूरत होती है।

इसके लिए लोहे का पतला तार या बांस की बारीक डंडिया काम ली जा सकती  हैं।

ढांपने के लिए 100 गज मोटाई की पालिथीन की शीट का उपयोग करें।

इस तरह से आधार बनने से लौकी या अन्य कद्दूवर्गीय फसलों की बेलेें आसानी से फैलेंगी और इनमें उपज भी अच्छी होगी। 

 

सर्दी में इन सब्जियों की फसलें भी देंगी जोरदार मुनाफा

यहां बता  दें कि दिसंबर से जनवरी के महीने में कई सब्जियों की फसलें उगाई जा सकती है जो गर्मी आने से पहले ही बाजार में आ जाती है और किसानों को इनके अच्छे दाम मिलते हैं।

बैंगन, शलजम, भिंडी, पालक, गाजर आदि ऐसी ही फसलें हैं। आइए ,जानते हैं इन फसलों की बुआई और इनकी देखभाल और इनके सेवन के फायदों के बारे में। 

 

 दिसंबर-जनवरी बैंगन की खेती के लिए बेहतर समय

सर्दियों में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में बैंगन भी प्रमुख फसल है। इसे दिसंबर से जनवरी तक लगाया जा सकता है।

बता दें कि बैंगन की खेती के के लिए दोमट मिट्टी और जल निकासी वाली जमीन चाहिए। यह फसल जल्दी बढ़ती है और अच्छी पैदावार देती है।

इसकी फसल के लिए धूप की जरूरत होती है इसलिए ऐसी जमीन पर बैंगन की खेती करें जहां खुल कर धूप आती हो।

दिसंबर में लगाई जाने वाली बैंगन की फसल मार्च तक खूब फलने-फूलने लगती है। इस समय बैंगन का भाव अच्छा होता है।

पौधों की ज्यादा बढ़वार के बाद इन्हे काट सकते हैं। इसके बाद नई शाखाओं में अच्छी मात्रा में बैंगन आते हैं।

 

शलजम की खेती के हैं कई फायदे 

शलजम की फसल ठंड के मौसम में होती है। इसे भी दिसंबर से जनवरी तक लगाया जा सकता है।

इसके लिए चिकनी दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त रहती है। यह खनिज से भरपूर होती है।

इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, मिनरल और फाइबर की अच्छी मात्रा होने से स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है।

यह हृदय रोगियों खास तौर पर उच्च रक्तचाप एवं सूजन में लाभकारी होती है। शलजम के सेवन से शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ती है।

 

भिण्डी गर्म और नमी दोनो जलवायु में होती है 

बता दें कि भिंडी की फसल गर्म और नमी वाली भूमि में हो सकती है। दिसंबर से जनवरी तक लगाई जाने वाली भिंडी की कई उन्नत किस्में मार्च में अच्छी पैदावार देती हैं।

फसल की बुआई करने से पहले उचित मात्रा में नत्रजन और कंपोस्ट खाद डालनी चाहिए।

सर्दी की भिंडी की फसल गर्मी के शुरूआती दौर में आ जाती है और बाजार में इसके अच्छे दाम मिलते हैं।

 

शीतलहर से कैसे बचाएं सब्जियों की फसलों को 

सब्जियों की फसलों को शीत का प्रकोप होने का खतरा अक्सर बना रहता है। खास तौर पर टमाटर, मिर्च, बैंगन, जीरा, धनिया, सौंफ आदि की फसलों को शीत लहर या पाले के नुकसान की आशंका होती है।

केवी के सहारनपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आई.के. कुशवाहा के अनुसार पाला दो तरह का होता है।

हला एडवेक्टिव और दूसरा रेडिएटिव यानि विकिरण आधारित। जब ठंडी हवाएं चलती हैं तो एडवेक्टिव पाला पड़ता है।

ऐसी हवा की परत एक से डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है। इस अवस्था में आसमान खुला हो या बादल दोनों ही अवस्था में नुकसान होता है।

पाले की आशंका को देखते हुए खेत की मेडों पर धुंआं कर दिया जाए तो इससे बचाव होता है।

इसके अलावा पाले की संभावना से पहले सिंचाई कर दिए जाने से भी असर कम हो जाता है।

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