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पशुपालक हरे चारे के लिए लगाएं बरसीम की यह उन्नत किस्में

 

बरसीम की उन्नत किस्में

 

पशुपालन क्षेत्र में अधिक आय अर्जित करने के लिए पशुओं का स्वस्थ रहना आवश्यक है, इसके लिए पशु पालकों को संतुलित आहार के रूप में पशुओं को हरा चारा देना चाहिए।

हरे चारे के रूप में पशुपालकों के पास कई विकल्प मौजूद हैं।इनमें पशु पालक पशुओं को आहार के रूप में बरसीम खिला सकते हैं

बरसीम रबी मौसम में दलहनी चारे की एक महत्वपूर्ण फसल है। यह चारा घास नवंबर से मई तक 4-6 कटाई देती है। यह एक पोषक, रसीला एवं स्वादिष्ट चारा है।

अत: इसे दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध में वृद्धि तथा शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति अच्छे परिणाम मिलते हैं।

 

बरसीम दलहनी फसल होने के कारण मृदा की उर्वरता में वृद्धि करती है। इसका प्रयोग हरी खाद के रूप में करना भी लाभदायक होता है।

इसके साथ-साथ बरसीम उगाने से मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप फसल की बेहतर उपज प्राप्त होती है।

 

बरसीम में पाए जाने वाले पोषक तत्व

यह शीतोष्ण क्षेत्र में उगाई जाने वाली हरे चारे की मुख्य दलहनी फसल है। इसका चारा पशुओं के लिए सबसे उत्तम व पौष्टिक माना जाता है।

इसमें शुष्क पदार्थ की गणना के आधार पर बरसीम के हरे चारे में 70 प्रतिशत पाचन योग्य शुष्क पदार्थ के साथ साथ 17-22% क्रूड प्रोटीन, 42-49 प्रतिशत एन.डी.एफ., 35-38 प्रतिशत ए.डी.एफ., 24-25 प्रतिशत सेल्युलोज और 7-10 प्रतिशत हेमी सेल्युलोज होता है।

 

बरसीम की उन्नत किस्में

देश में अलग-अलग राज्यों में जलवायु के अनुसार बरसीम की अलग-अलग किस्में लगाई जा सकती हैं।

किसान अपने क्षेत्र में उत्पादन के अनुसार बरसीम की इन किस्मों का चुनाव कर सकते हैं:-

किस्में अनुशंसित क्षेत्र हरे चारे की उपज (टन/हैक्टर)
बी.एल. – 42 पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश 90 – 100
बी.एल. – 1 पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश 80 – 90
बी.एल. – 2 उत्तर–मध्य भारत 75 – 80
बी.एल. – 10 उत्तर–मध्य भारत 85 – 95
बी.एल. – 10 पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश 60 – 65
हिसार बरसीम पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान 70 – 75
जवाहर बरसीम सम्पूर्ण भारत 70 – 75
बुन्देल बरसीम – 3 शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्र 55 – 56
बुन्देल बरसीम – 2 उत्तर–पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र 75 – 80
वरदान सम्पूर्ण भारत 60 – 65
मसकवी सम्पूर्ण भारत 60 – 62
पूसा जायंट उत्तर–पश्चिमी, दक्षिण एवं मध्य क्षेत्र 65 – 67

 

बरसीम उत्पादन के लिए उपयुक समय एवं बीज दर

अच्छी सिंचाई सुविधा होने पर बरसीम को सभी प्रकार की मीट्टी में उपजाया जा सकता है।

बरसीम की खेती मुख्यतः रबी सीजन में की जाती है। जब तापमान 25°-27° सेल्सियस हो तब बुआई करनी चाहिए।

उत्तर एवं मध्य भारत में बरसीम की बुआई का सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर माह का द्वितीय सप्ताह है।

फिर भी इसे अक्टूबर के अंत या नबम्बर माह के प्रथम सप्ताह तक बोया जा सकता है।

हरा चारा प्राप्त करने के लिए किसान 25 से 30 किलोग्राम तक प्रति हैक्टेयर बीज दर का उपयोग कर सकते हैं।

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