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फफूंदी और जीवाणु रोग से सोयाबीन की फसल को बर्बाद होने से बचाए

एक्सपर्ट की सलाह मानें

 

सोयाबीन फसल में फफूंदी और जीवाणु रोग का संकट मंडरा रहा है,

इससे पैदावार घट सकती, फसल को रोग से बचाने के लिए एक्सपर्ट की सलाह मानें…

 

देश के अधिकतर इलाकों में सोयाबीन फसल में इस समय फलियों में दाने भरने लग गए है।

हालांकि फसल पकने में अभी समय है। फलियां बनने की स्थिति में फसल पर बीमारियों का प्रकाेप होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में सोयाबीन फसल में फफूंदी व जीवाणु रोग का प्रकोप गहरा रहा है।

इससे किसानों के सामने संकट पैदा हो गया है। बढ़ते संकट को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के लिए समसामयिक सलाह जारी की है।

 

फफूंदी व जीवाणु रोग का प्रकोप जारी

तेज बारिश के बाद अब कीटों के प्रकोप से सोयाबीन फसल प्रभावित हो रही है।

किसान फसल को रोग से बचाने के लिए कई प्रकार के जतन करने में लगे हैं।

उनका कहना है कि, पकने की स्थिति में आने पर फसल में अब यदि बीमारियां आएंगी तो अधिक नुकसान होगा।

वहीं उज्जैन जिले के किसान राधेश्याम पाटीदार, बगदीराम गुर्जर सहित अन्य ने बताया कि सोयाबीन फफूंदी व जीवाणु रोग का प्रकोप देखा जा रहा है।

फसल पर गहराते संकट को देखते हुए किसानों को माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं।

इधर, जिले में किसानों की सूचना पर वैज्ञानिकों ने विभिन्न गांवों का भ्रमण किया।

इसमें पाया कि सोयाबीन फसल में कहीं-कहीं प्रकोप है।

किसानों को सलाह दी है कि लक्षणों को पहचान कर उसके अनुसार उपचार कर फसल को सुरक्षित रखें।

 

फफूंदी रोग के लक्षण

इस बीमारी से सोयाबीन की पत्तियों पर गोलाकार या असमान हरे पानी से भरे लाल कत्थई किनारों वाले धब्बे पुरानी पत्तियों पर दिखाईदेते हैं।

बाद में धब्बे धूप से झुलसे हुए से हो जाते हैं और डंठल, तना और नई पत्तियों पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

इस बीमारी के कारण पत्तियों का आपस में चिपकना आम बात है।

गंभीर संक्रमण से पत्तियां और फल झड़ने लगते हैं और पौधा सूखकर मरने लगता है।

 

फफूंदी रोग नियंत्रण के उपाय

यदि आपकी फसल में फफूंदी रोग के लक्षण नजर आते है, तो इसके लिए किसान साथी पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत की 500 ग्राम या टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत ई.सी. की 625 मिली लीटर हेक्टेयर या फ्लुक्सापायरोक्साड 300 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर के छिड़काव करें।

आवश्यकता पड़ने पर 12 से 15 दिन के अंतराल पर दोहराएं।

 

सोयाबीन में जीवाणु रोग के लक्षण

यदि आपकी सोयाबीन की फसल में पत्तियों पर तथा फलियों पर काले धब्बे बनते हैं तथा धब्बे के बाहरी किनारों पर चंद्रमा की आभा की तरह पीला रंग गोलाई में दिखाई देता है, तो समझ जाइए की आपकी फसल पर जीवाणु रोग का प्रकोप है। इसके अधिक संक्रमण से सोयाबीन पौधे की पत्तियां गिरने लगती हैं और पौधा पूरी तरह झड़ जाता है।

 

जीवाणु रोग जीवाणु रोग नियंत्रण कैसे करें

सोयाबीन की फसल में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग को नियंत्रित करने के लिए स्ट्रैप्टो साइक्लीइन की 66 ग्राम मात्रा प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

आवश्यकता पर 12 से 15 दिन के अंतराल पर दोहराएं।

इसके आप जीवाणु रोग पर नियंत्रण पा सकते है।

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