हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

आलू की फसल को निमोटोड वायरस से कैसे बचाएं ?

 

देश के अधिकतर राज्यों के किसान आलू की खेती करते हैं.

 

आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो, इसके लिए आलू की खेती करते समय सभी ज़रूरी प्रबंध भी करते हैं. मगर फिर भी कई बार आलू की फसल वायरस की चपेट में आ जाती है.

 

ऐसा ही एक निमोटोड वायरस है, जो कि आलू की फसल का उत्पादन कम कर देता है. इसके बचाव के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के वैज्ञानिकों की तरफ से एक खास सुझाव दिया गया है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान आलू की फसल को वायरस से बचाना चाहते हैं, तो उनके लिए फसल चक्र अपनाना जरूरी है. जब किसान फसल चक्र अपनाएंगे, तभी मिट्टी से निमोटोड वायरस को निपटा सकते हैं.

 

क्या है निमोटोड वायरस ?

सीपीआरआई के वैज्ञानिक बताते हैं कि निमोटोड वायरस का मिट्टी पर 7 साल तक असर रहता है. अगर किसान अपने खेतों में लगातार आलू की बुवाई करते हैं, तो इस वायरस के फैलने की आशंका बढ़ जाती है. यह आलू विदेशों खासकर यूरोप और अमेरिका में भी खाया जाता है. हालाकिं, ऐसे आलू को खाने से कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है.

 

यह भी पढ़े : गेहूं के मूल्य में हुई सिर्फ 50 रुपये की वृद्धि

 

वैज्ञानिकों के मुताबिक

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर किसान अपने खेतों में सालों तक लगातार आलू की ही बुवाई करेंगे, तो यह उनके लिए बीजना घातक हो सकता है.

यह वायरस आलू के उत्पादन को तेजी से घटाता है. इससे आलू की पैदावार लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक घट सकती है.

 

वायरस का आलू उत्पादन पर असर 

आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में निमोटोड वायरस आलू उत्पादन पर भारी डाल रहा है. इतना ही नहीं, हर साल केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कुफरी और फागू फार्म में आलू बीज पैदा किया जाता रहा है. मगर पिछले 3 साल से उत्पादन ठप हो चुका है.

 

फिलहाल, आलू के खेतों की मिट्टी से निमोटोड वायरस खत्म करने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है. सीपीआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो किसान लगातार आलू की पैदावार लेते हैं, उनके खेतों की मिट्टी में निमोटोड वायरस रहता है.

इसके लिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए. इसका मतलब है कि एक साल आलू और दूसरे साल सरसों फिर तीसरे साल राजमाह आदि फसलों की खेती करना चाहिए. इस तरह निमोटोड वायरस से छुटकारा पाया जा सकता है.

 

यह भी पढ़े : यूरिया खाद का विकल्प बनेगा नैनो नाइट्रोजन

 

स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

शेयर करे