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धान में भूरा माहो के नियंत्रण के लिए वैज्ञानिको ने जारी की सलाह

 

भूरा माहो का नियंत्रण

 

जहाँ कई स्थानों पर धान की फसल की कटाई का कार्य शुरू हो गया है वहीँ अभी कई जगहों पर धान की कटाई में अभी कुछ समय बाकि हैं|

जिन स्थानों पर अभी धान की फसल में दाने आ रहे हैं वहां कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है|

भूरा माहो एवं अन्य कीट पतंगों के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए छतीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जरुरी सलाह जारी की गई है|

 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान अभी धान में भूरामाहो, पेनिकल माइट, तना छेदक जैसी कीट की समस्या से जुझ रहे है।

मेडों की साफ-सफाई नही होना और पौध संख्या का अधिक होना कीट पतंगों के प्रकोप का कारण है।

साथ ही देख-रेख व सस्य क्रियाओं हेतु निरक्षण पट्टिका का न छोड़ा जाना, रासायनिक उर्वरकों का अनियंत्रित प्रयोग के कारण भी कीट व्याधि का प्रकोप बढ़ता है।

भूरा माहो के नियंत्रण के लिए किसान क्या करें ?

जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है वे खेतो में धान की मुंदरी तक पानी भरें।

मेडों की मुही को अच्छी तरह बांधे फिर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें।

अंतः प्रवाही दवा व संपर्क/स्पर्थी दवा का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

जिन खेतों में माहो का प्रकोप अधिक एवं धान हरा हो तो ट्राईफ्लूमेजोपाइरिन 10 प्रतिशत एस.सी. दवा 94 मि. ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

 

भूरा माहो के नियंत्रण के लिए इनमें से किसी एक दवा का करें प्रयोग

  • पायमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी 300 ग्राम/हेक्टेयर,
  • थायोमेथेक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100-120 ग्राम/हेक्टेयर,
  • इमीडाक्लोरोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 150-200 मि.ली./हेक्टेर,
  • फिप्रोनिल 3 प्रतिशत $ ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत 500 मि.ली./हेक्टेयर,
  • ब्यूप्रोफेजिन 15 प्रतिशत $ एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम/हेक्टेयर,
  • डाइनोटेफ्यूरॉन 20 प्रतिशत एस.जी. 175 ग्राम/हेक्टेयर

 

किसान ऊपर दी गई दवाओं में से किसी भी एक रासायनिक दवा का प्रयोग कर सकते हैं|

वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि दवा को पौधे के नीचे तक पहुचाना जरूरी है। धान की लंबाई ज्यादा होने पर पानी का भराव अवश्य करे।

जिससे माहू कुछ ऊपर की ओर आयेगें व एक एकड़ में 150-200 लीटर पानी या 10-12 स्प्रेयर दवा का इस्तेमाल जरूर करें।

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