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एक चौथाई रह गया सोयाबीन का दाम

 

सोयाबीन का दाम

 

देश के दो सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्यों में किसानों को लगी भारी आर्थिक चोट, न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे आ गया दाम.

 

केंद्र सरकार ने पोल्ट्री कारोबारियों को राहत देने के लिए 16 अगस्त को 12 लाख टन सोयामील इंपोर्ट की अनुमति दी थी.

इससे पहले सोयाबीन का दाम 10 से 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल था. इंपोर्ट का आदेश जारी होने के बाद बाजार औंधे मुंह गिरता चला गया.

हालात ये हैं कि इसके सबसे बड़े उत्पादक मध्य प्रदेश में सोमवार को इसका न्यूनतम दाम घटकर 2400 रुपये रह गया है.

यानी खुले मार्केट में सोयाबीन का दाम अब इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य 3950 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम हो गया है.

दो महीने पहले किसानों को अच्छा दाम मिलने पर जो लोग हायतौबा मचा रहे थे वो अब गायब हैं.

 

मध्य प्रदेश के किसान नेता राहुल राज का कहना है कि सोयामील इंपोर्ट के फैसले की वजह से ही सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को इतनी बड़ी आर्थिक चोट लगी है.

सरकार ने कुछ व्यापारियों के हित के लिए किसानों को भारी नुकसान पहुंचा दिया है.

सोयाबीन की नई फसल अभी आने वाली है ऐसे में व्यापारियों ने जान उन लोगों ने सुनियोजित तरीके से दाम गिरा दिया है.

इसीलिए एमएसपी गारंटी की मांग हो रही है. ताकि उससे कम दाम में कोई भी व्यापारी फसल न खरीदे.

 

कितना है दाम

मध्य प्रदेश की विदिशा मंडी में 11 अक्टूबर को सोयाबीन का न्यूनतम दाम 2400 रुपये प्रति क्विंटल आ गया.

जबकि मॉडल प्राइस 5150 रुपये प्रति क्विंटल रहा. देश के दूसरे बड़े सोयाबीन उत्पाद महाराष्ट्र में भी गिरते दाम से किसान परेशान हैं.

यहां की नागपुर मंडी 11 अक्टूबर को 3,851 रुपये, अहमदनगर मंडी में इसका मॉडल प्राइस 5,641, चंद्रपुर में 4,000 एवं वानी में 4,270 रुपये क्विंटल रहा.

 

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने किया था विरोध

सोयामील, सोयाबीन के बीजों से तैयार किए गए उत्पादों को कहते हैं जिनका इस्तेमाल पोल्ट्री इंडस्ट्री में पशु आहार के रूप में किया जाता है.

इसे सोयाबीन की खली भी कह सकते हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने जेनेटिकली मोडिफाइड सोयामील आयात के खिलाफ लिखित तौर पर केंद्र सरकार का विरोध किया था.

 

वहां के कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने लिखा था, “सोयाबीन प्रमुख तिलहन फसल है, जिसे खरीफ सीजन के दौरान 120 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है.

देश में 1 करोड़ से ज्यादा किसान सोयाबीन की खेती करते हैं. अब उनकी फसल तैयार होने वाली है.

इस बीच केंद्र सरकार ने 12 लाख मीट्रिक टन सोयामील इंपोर्ट की अनुमति दे दी. इस फैसले से सोयाबीन की कीमतों पर असर पड़ेगा.”

 

इंपोर्ट के पीछे क्या दिया गया था तर्क

सोयामील इंपोर्ट को केंद्र सरकार यह कहकर जरूरी बता रही है कि सोयामील की आसमान छूती कीमतों ने पशुओं के चारे को महंगा कर दिया है.

जिससे पोल्ट्री, डेयरी (Dairy) और एक्वा उद्योग पर असर हो रहा है.

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