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पुरानी साड़ियों की बाड़ रोक रही जंगली सूअरों का हमला

 

पुरानी साड़ियों की बाड़

 

क्षेत्र के किसान जंगली सूअरों से परेशान हैं। ये सूअर आलू की फसल को खा जाते हैं और किसानों को खासा नुकसान होता है।

दतोदा, सिमरोल और आसपास के गांवों के किसान नीलगाय और जंगली सूअरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए अब देसी जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं।

वे जंगली सूअर व नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए साड़ियों से बाउंड्री बना रहे हैं।

यह सुरक्षा मजबूत नहीं है लेकिन साड़ियों के होने से जंगली सूअरों को फसल दिखाई नहीं देती और साड़ियों के लहराने और चमकने से उन्हें खतरे का अहसास होता है।

किसानों के मुताबिक क्षेत्र में पहले भी इस देसी तरीके का प्रयोग किया जाता रहा है जो काफी हद तक कारगर भी रहा है।

 

साड़ियों की मेड़ क्यों….?

आलू की फसल तैयार होने को है और किसानों को उम्मीद है कि इस बार उन्हें आलू का अच्छा दाम मिलेगा लेकिन इस बीच एक खतरा है।

किसानों को डर सता रहा है कि कहीं जंगली सूअर और नीलगाय खेत से निकलने से पहले ही आलू चट न कर जाएं।

इसके लिए किसान रात-रात भर जागकर खेतों की रखवाली कर रहे हैं। इस परेशानी के बीच उन्होंने फसल बचाने का एक देसी तरीका भी निकाल लिया है जिसके लिए वे पुरानी साड़ियों का सहारा ले रहे हैं।

 

साड़ियों से ये किसान अपने खेत की मेड़ों पर सुरक्षा दीवार बना रहे हैं। रंग बिरंगी साड़ियां रात को चमकती हैं और उनमें हवा से लहर पैदा होती है।

ऐसे में जानवर इन्हें देखकर डर जाते हैं और खेत की ओर नहीं आते हैं। किसानों के मुताबिक यह तरीका काफी हद तक कारगर नजर आ रहा है।

क्षेत्र की इस समस्या को लेकर किसान मुरलीधर सिलवाड़िया बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जंगली सूअरों का प्रकोप बहुत ज्यादा है।

ये बड़ी संख्या में आते हैं और चंद मिनटों में ही खड़ी फसल को उखाड़ फेकते हैं।

इनका सामना करना भी मुश्किल होता है इसलिए खेतों की मेड़ों पर साड़ियों की मेड़ कर दी है ताकि सूअरों को फसल नही दिख सके।

 

सरकार से सब्सिडी भी नहीं

किसानों के मुताबिक तार फेंसिंग करने में उन्हें काफी अधिक खर्च आता है और उन्हें इसके लिए कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिलती।

अभी हाल ही में कुछ दिन पूर्व सरकार ने तार फेंसिंग के लिए कुछ जिलों के नाम सब्सिडी की योजना लागू की है जिसमें इंदौर जिले का नाम नहीं है जबकि सूअरों की संख्या यहां काफी अधिक है।

इसके बावजूद इंदौर जिले के किसानों को सुविधा नहीं मिल रही है।

 

 

ग्राम केंद्र अध्यक्ष भारतीय किसान संघ लेखराज मुंडेल का कहना है कि दिन-रात किसान मेहनत कर फसल तैयार करता है परंतु एक ही रात में जानवर इसे खत्म कर देते हैं।

महंगा बीज लाने के बाद भी उसे कोई लाभ नहीं होता है।

इस समस्या के लिए हमने कई बार शासन- प्रशासन को आवेदन दिया परंतु अभी तक इसका कोई निराकरण नहीं हुआ है।

source : naidunia

 

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