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एलोवेरा की खेती ने गांव को दिलाई बड़ी पहचान

 

‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भी की तारीफ

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  मन की बात कार्यक्रम में देवरी गांव का जिक्र किया.

 

झारखंड की राजधानी रांची जिला अतंर्गत नगड़ी प्रखंड का देवरी गांव को एलोवेरा विलेज के नाम से जाना जाता है.

गांव की इस पहचान के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  मन की बात कार्यक्रम में देवरी गांव का जिक्र किया.

उन्होंने एलोवेरा  विलेज देवरी की सराहना करते हुए कहा कि रांची के सतीश कुमार ने पत्र के माध्यम से झारखंड के एलोवेरा विलेज देवरी की ओर उनका ध्यान दिलाया.

देवरी गांव की महिलाओं ने मंजू कच्छप के नेतृत्व में एलोवेरा की खेती की है. इससे इन महिलाओं की न सिर्फ आमदनी बढ़ गई, बल्कि इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाभ भी मिला.

 

उत्साहित है मंजू कच्छप

मन की बात कार्यक्रम में अपने गांव और अपने कार्यों की सराहना पीएम मोदी द्वारा किये जाने पर मंजू कच्छप काफी उत्साहित हैं.

खुश होते हुए मंजू कच्छप ने टीवी 9 को बताया कि उनके और उनके गांव की महिलाओं द्वारा किये गये मेहनत का आज उन्हें फल मिला है.

उन्हें गर्व है कि उनके कार्यों के कारण आज देवरी गांव की पहचान पूरे भारत में हो रही है.

मंजू कच्छप ने कहां कि तारीफ से जिम्मेदारी भी बढ़ती है, इसलिए अब वो और उनकी गांव की महिलाएं दोगुने उत्साह के साथ काम करेंगी.

बता दे बता दें कि मंजू कच्छप देवरी पंचायत  की मुखिया भी है. उनकी अगुवाई में ही गांव में एलोवेरा की खेती शुरू हुई थी.

 

देवरी गांव के एलोवेरा विलेज बनने की कहानी

झारखंड के रांची जिले के देवरी गांव का पहचान आज एलोवेरा विलेज के तौर पर हो रही है.

इसके पीछे यहां के ग्रामीणों की मेहनत है. गांव को एलोवेरा विलेज बनाने की शुरुआत साल 2018 में हुई थी.

उस वक्त नंवबर के महीने में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली के सहयोग से ग्रामीणों के बीच पौधे का वितरण किया गया.

इसके बाद गांव के कई खेतों में इसे लगाया गया. आज इस गांव से प्रत्येक दिन एलोवेरा खरीदने के लिए लोग आते हैं. इससे ग्रामीणों को अच्छी कमाई हो रही है.

 

गांव के हर घर में है एलोवेरा का पौधा

देवरी गांव की मुखिया मंजू कच्छप बताती है कि गांव की यह पहचान आज इसलिए हैं क्योंकि आज गांव के हर घर में एलोवेरा के 15 से 20 पौधे हैं. इससे उन्हें फायदा हो रहा है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में गांव में पौधे आये थे. इससे पहले उन्हें प्रशिक्षण दिया गया था.

इस दौरान उन्हें एलोवेरा खेती के फायदे को उन्हें बताया गया साथ ही इसे करने की विधि बतायी गयी.

 

शुरुआत में आयी परेशानी

मंजू कच्छप बताती है कि शुरुआत में उनके गांव के किसानों को परेशानी हुई, क्योंकि बहुत लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं थी.

इसलिए उन्होंने पानी जमने वाली जमीन पर इसे लगा दिया. जिसके कारण खेत में पानी भरने पर उनके पौधे बर्बाद हो गये.

इससे उन्हें नुकसान हुआ. पर जिन किसानों ने उपरी जमीन पर लगाया था अब उनके पौधे बड़े हो गये हैं.

 

गांव में आते हैं खरीदार

गांवी की मुखिया बताती है कि गांव में एलोवीरा एलोवेरा का उत्पादन बढ़ने के बाद अब रांची से व्यापारी आते हैं.

हर दिन लगभग 40 से 50 किलो एलोवेरा का उत्पादन घर में होता है. बाहर से ग्राहक और व्यापारी आकर उसे खरीद कर ले जाते हैं.

साथ ही वो अब उत्पादन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. लगभग 35 रुपए किलो की दर से किसानों को दाम मिलता है.

 

एलोवेरा जेल निकालने की है योजना

मुखिय मंजू कच्छप बताती हैं कि एलोवेरा गांव के तौर पर देवरी गांव को और बड़ी पहचान दिलाने के लिए गांव में ही एलोवेरा जेल निकालने की योजना पर काम हो रहा है.

गांव की अन्य महिलाओं को इसमें जोड़कर उत्पादन बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.

जल्द ही गांव में इसका उत्पादन भी बढ़ जाएगा. साथ ही महिलाओं की आय भी बढ़ेगी.

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