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ड्रोन खरीदने के लिए सरकार चार लाख रुपये तो दे रही है, मगर खेती में ये मदद कैसे करेगा

ड्रोन खरीद

 

खेती को उन्नत तरीके से करने के लिए देश में ड्रोन का चलन बढ़ा है.

जहां पहले एक उपज में एक लाख रुपये किसान कमाता था.

ड्रोन की मदद से कमाई चार से पांच गुना तक हो गई है.

 

साइंस ने तरक्की की तो जहां इलाज बेहतर हुए. वहीं एग्रीकल्चर क्षेत्र भी सुधरना और संवरना शुरू हो गया हैै.

एक्सपर्ट एग्रीकल्चर क्षेत्र को बेहतर करने के लिए नई नई तकनीक इजाद कर रहेे हैं.

ड्रोन भी खेतीबाढ़ी में किसानों की मदद कर रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि जिन किसानों ने ड्रोन का इस्तेमाल का प्रयोग शुरू किया है.

वह पहले 10 बीघा फसल ही कर पाते थे. अब वह उतने ही समय और कम मेहनत में ड्रोन की मदद से 50 से 100 बीघा फसल कर सकते हैं.

ड्रोन तकनीकी रूप से खेत में किसान के पार्टनर के रूप में ही काम करता है.

केंद्र सरकार भी ड्रोन से खेती को बढ़ावा देने के लिए एग्री ड्रोन सब्सिडी स्कीम में के तहत 5 लाख रुपये तक का ड्रोन खरीदने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है.

लेकिन यहां ये भी जानना जरूरी है. स्कीम से ड्रोन तो खरीद लिया, लेकिन खेतीबाढ़ी में वो कैसे हाथ बटाएंगा.

 

पहले ट्रेनिंग लिजिए

केंद्र सरकार की पहल के बाद ड्रोन की ट्रेनिंग देने के लिए सेंटर भी खुल गए हैं.

हरियाणा में 3 स्कूल, महाराष्ट्र में 4 संस्थान, तेलंगाना के दो, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, गुजरात के अहमदाबाद, हिमाचल प्रदेश के शाहपुर, झारखंड के जमशेदपुर, कर्नाटक के ​बेंगलुरु और तमिलनाडु के चेन्नई में ट्रेनिंग स्कूल ओपन करने की अनुमति दे दी गई हैं.

यहां पर ऑनलाइन पंजीकरण कराकर ड्रोन का प्रशिक्षण लेना होगा. इसके लिए वेबसाइट दी गई हैं.

 

खेती में ड्रोन कैसे मदद करता है?

फसल की हेल्थ की निगरानी

फसलें केवल बारिश, बाढ, सूखा या दैवीय आपदा से ही बर्बाद नहीं हो पाती है.

हर साल किसानों की करोड़ों रुपये की फसल कीट और फसल में लगने वाले रोग बर्बाद कर देते हैं.

ड्रोन कैमरों की मदद से उन्हीं फसलों को चिन्हित करेगा. जो बीमार हैं या कोई कीट अटैक कर रहा है.

इसकी मदद से मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज बनाकर फसल को समय पर बचाने में मदद मिलती है.

 

फसल नुकसान का आंकलन करना

ड्रोन इन सबके अलावा क्रॉप लॉस की पड़ताल करने मेें मदद करता है.

मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर और आरजीबी सेंसर की मदद से खेती में होने वाले नुकसान की सटीक जानकारी जुटाई जा सकती है.

कृषि ड्रोन खरपतवार, संक्रमण और कीटों से प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी जुटा सकते हैं.

किसान इसकी मदद से कैमिकल का प्रयोग कर फसल नुकसान से बचा सकते हैं.

 

फर्टिलाइजर-कीटनाशकों का छिड़काव

किसानों को फर्टिलाइजर और कीटनाशकों के छिड़काव करने में कई दिन लग जाते हैं.

वहीं ड्रोन की मदद से वह कुछ ही घंटों में पूरा किया जा सकता है.

हाई तकनीक से लैस सेंसर के कारण ड्रोन यह भी पहचान कर लेता है कि किस स्थान पर पोषक तत्वों की कमी है.

उस स्थान पर फर्टिलाइजर अधिक छिड़का जा सकता है.

वहीं, कीटनाशकों की सही जानकारी मिलने पर भी सही जगह पर छिड़काव ड्रोन कर देता है.

टाइम-लैप्स फोटोग्राफी की मदद से उस स्थान पर पानी की सिंचाई प्रॉपर कर दी जाती है.

 

मिट्टी के हेल्थ की जांच

ड्रोन का काम फसलों की निगरानी के लिए मिट्टी की जांच करने का भी रहता है.

मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर के जरिए मिटटी में पोषक तत्वों की उपलब्धता, नाइट्रोजन लेवल की जांच करना, भूमि में मौजूद तत्वों की सटीक 3 डी मैपिंग के जरिए इमेज बनाई जा सकती है.

यदि कहीं पोषक तत्वों की कमी हो रही है तो उन्हें पूरा किया जा सकता है.

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