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आठ जुलाई से प्रदेश में शुरू हो सकता है बारिश का सिलसिला

 

उज्‍जैन, जबलपुर, शहडोल, ग्‍वालियर, चंबल संभाग के जिलों में सोमवार को कहीं-कहीं बारिश होने के आसार

 

तय समय से पहले ताबड़ताेड़ ढंग से मध्यप्रदेश में दाखिल हुआ दक्षिण-पश्चिम मानसून अचानक शिथिल पड़ गया।

हालात यह हैं कि जून माह बीतने के बाद भी अभी देश के कई राज्याें में मानसून पूरी तरह नहीं पहुंच सका है।

उधर मानसून के ठिठकने के कारण किसान चिंतत हाे गए हैं। अपेक्षित बारिश नहीं हाेने से खरीफ फसल की बाेवनी पिछड़ गई है।

मौसम विज्ञानी मानसून की बेरूखी का कारण लगातार आ रहे पश्चिमी विक्षाेभ काे बता रहे हैं।

धर बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बनने की संभावना के कारण आठ जुलाई के बाद प्रदेश में बारिश का सिलसिला शुरू हाेने के आसार हैं।

इसके पूर्व प्रदेश के अधिकांश जिलाें में अधिकतम तापमान में बढ़ाेतरी हाेगी।

 

मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार काे सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक उज्जैन में चार मिलीमीटर बरसात हुई।

राजधानी का अधिकतम तापमान 36.4 डिग्रीसेल्सियस दर्ज हुआ। जाे सामान्य से तीन डिग्रीसे.अधिक रहा। न्यूनतम तापमान 25डिग्रीसे. रिकार्ड हुआ। यह सामान्य रहा। मौसम विज्ञानी एसएन साहू ने बताया कि वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी राजस्‍थान पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।

इसके प्रभाव से उज्जैन, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, शहडाेल संभाग के जिलाें में कहीं-कहीं बरसात हाेने की संभावना है।

तक इस सीजन की अभी तक कुल 171.7 मिलीमीटर बरसात हुई है। यह सामान्य (154.9 मिमी.) की तुलना में 11 फीसद अधिक है।

प्रदेश में मानसून की असामान्य बारिश हाेने से 17 जिलाें में पानी की जबरदस्त दरकार बन गई है।

सात जुलाई काे बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवात बनने के संकेत मिले हैं। उसके प्रभाव से प्रदेश में बौछारें पड़ने का सलिसिला शुरू हाेने की संभावना है।

 

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क्याें ठिठका मानसून

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि मानसून के आगे बढ़ने के बाद अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में काेई प्रभावी वेदर सिस्टम नहीं बना।

इससे मानसून काे आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल सकी। इस वजह से मानसून सीजन में बनने वाली मानसून द्राेणिका (ट्रफ) अभी मजबूत स्थिति में नहीं आ सकी है।

उधर मानसून की राह में उत्तर भारत की तरफ लगातार आ रहे पश्चिमी विक्षाेभ अड़ंगा बने हुए हैं।

अमूमन मानसून सीजन के शुरू हाेने के बाद पश्चिमी विक्षाेभ श्रीनगर के बाद रूस की तरफ बढ़ ल जाते हैं, लेकिन इस बार अभी तक पश्चिमी विक्षाेभ उत्तर भारत में काफी नीचे की तरफ आ रहे है।

वर्तमान में भी एक पश्चिमी विक्षाेभ पाकिस्तान पर बना हुआ है।

दरअसल पश्चिमी विक्षाेभ के प्रवेश करने के साथ हवा का रूख पश्चिमी हाे जाता है, जबकि मानसून काे आगे बढ़ने के लिए उत्तर भारत में ऊपरी भाग में पश्चिमी, जबकि निचले स्तर पर पूर्वी हवा का हाेने जरूरी है।

दाेनाें ही स्तर पर हवा की दिशा पश्चिमी हाेने से मानसून आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

 

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