हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

सरसों की आगामी फसल आने में हो सकती है एक महीने की देरी

 

सरसों की फसल में एक महीने की देरी

 

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे बाजार के टूटने से सरसों पर दबाव है मगर इसमें मांग और आपूर्ति का अंतर बना हुआ है.

यही वजह है कि आम गिरावट के रुख के बावजूद सरसों पर इसका कोई विशेष असर नहीं है, क्योंकि इस तेल का और कोई विकल्प नहीं है.

 

त्योहारों से पहले सरकार खाद्य तेल की कीमतों में कमी करने की कोशिशों में जुटी हुई है.

आयातित तेल से शुल्क में कमी करने का असर दिखने लगा है.

लेकिन घरेलू तेल सरसों के लिए यह लागू नहीं होता, ऐसे में इसके दाम पर कोई विशेष असर नहीं पड़ा है.

ऊपर से, आगामी फसल आने में एक महीने की देरी की बात कही जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरसों की कीमत क्या कम हो पाएगी?

 

बुवाई में देरी के कारण सरसों की अगली फसल आने में भले ही एक महीने की देरी की बात कही जा रही है, लेकिन उत्पादन दोगुना होने की संभावना है.

ऐसे में नई फसल आने से दाम में गिरावट की उम्मीद है. हालांकि अभी इसमें वक्त है.

त्योहारों से पहले सरकार दाम करने की कोशिश में जुटी है.

 

अन्य तेलों के दाम में गिरावट के बावजूद सरसों पर विशेष असर नहीं

सरकार की ओर से मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में तेल मिलों और व्यापारियों को अपने सरसों का स्टॉक वेब पोर्टल पर खुलासा करने का निर्देश जारी होने के साथ उनके पास जो कुछ बचा खुचा स्टॉक था, उसे निकाल दिया गया.

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे बाजार के टूटने से सरसों पर दबाव है मगर इसमें मांग और आपूर्ति का अंतर बना हुआ है.

यही वजह है कि आम गिरावट के रुख के बावजूद सरसों पर इसका कोई विशेष असर नहीं है, क्योंकि इस तेल का और कोई विकल्प नहीं है.

 

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखकर सरसों का स्थायी रूप से लगभग 5-10 लाख टन सरसों का स्टॉक रखना चाहिए.

मुंबई के कुछ बड़े ब्रांड की मांग के कारण सलोनी में सरसों का भाव 8,700 रुपये से बढ़ाकर 8,900 रुपये क्विंटल कर दिया गया है.

हालांकि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 150 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,730-8,755 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,870-8,895 रुपये प्रति क्विंटल था.

 

सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 210 रुपये घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 17,550 रुपये क्विंटल रह गया.

सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें 45-45 रुपये घटकर क्रमश: 2,655-2,705 रुपये और 2,740-2,850 रुपये प्रति टिन रह गईं.

 

स्टॉक की कमी के कारण मांग और आपूर्ति में अंतर

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के फैसले का असर सरसों की कीमतों पर तब पड़ता, जब पर्याप्त स्टॉक मौजूद होता.

अभी सरसों का काफी कम स्टॉक है और वह भी किसानों के पास ही है.

इस वजह से मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अतंर हो गया है. देश में प्रतिदिन 3 लाख बोरी सरसों की खपत है. वहीं आवक 95 हजार बोरी से एक लाख के आसपास है.

ऐसे में सरसों के दाम में कोई विशेष कमी की उम्मीद नहीं है.

 

इस बार भी देश में सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था. खरीद शुरू होते ही मिलों ने ज्यादा मात्रा में पेराई शुरू कर दी.

अब सरसों की कमी के कारण कुछ प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में 60 प्रतिशत तक पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं.

नई पैदावार के आने और पेराई शुरू होने के बाद ही सरसों तेल की कीमतों में ठीक-ठाक गिरावट की संभावना है.

source

 

यह भी पढ़े : ये हैं प्याज की 5 सबसे उन्नत किस्में

 

यह भी पढ़े : खेत से ब्रोकली तोड़ने के मिलेंगे 63 लाख सालाना

 

यह भी पढ़े : खेत मे भर गया इतना पानी, कि नाव से मक्का निकलना पड़ा

 

शेयर करे