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याददाश्त बढ़ाने वाली औषधी शंखपुष्पी से कर सकते हैं बंपर कमाई

 

शंखपुष्पी से कर सकते हैं बंपर कमाई

 

शंखशपुष्पी की खेती करने वाले किसानों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि पैदावार और जलवायु के हिसाब से अलग अलग किस्मों की वो खेती कर सकते हैं.

फूलों के रंगो सफेद, नीली और लाल रंग के आधार पर इसकी तीन प्रजातिया मौजूद हैं.

 

शंखपुष्पी एक औषिधिय पौधा है. इसमें याददाश्त बढ़ाने की क्षमता होती है.

यब रेगिस्तान में झाड़ियों की तरह उगता है. पहले इसका इस्तेमाल ऊंटों के चारों के लिए होता था, पर इसकी औषधिय शक्ति का पता चलने के बाद शंखपुष्पी की व्यापारिक तौर पर खेती शुरू हो गयी है.

इसकी खेती से किसानों को अच्छी कमाई होती है. शंखपुष्पी को विशेषकर दक्षिण और पूर्वी भारत में अधिक उगाया जाता है.

आयुवेदिक दवाइयों को बनाने में इसका इस्तेमाल काफी अधिक मात्रा में होने लगा है. इसका सामान्य पौधा एक फ़ीट तक लम्बा होता है, तथा इसके पौधों की अधिकतम लम्बाई डेढ़ फुट तक पाई जाती है.

एक बार तैयार हो जाने बाद काफी वर्षों इसके पौधे पैदावार देते हैं.

शंखपुष्पी के पौधे में लगने वाले फूल लाल, सफ़ेद, और नीले रंग के होते है, तथा इसके बीज काले रंग के होते है, जिसमे एक से तीन धारिया बनी होती है, जो देखने में शंख जैसे लगते है.

शंखपुष्पी के काफी अच्छे दाम मिलते हैं इसके कारण अब काफी संख्या में किसान इसकी खेती कर रहे हैं.

 

बारिश का मौसम है अनुकूल

शंखपुष्पी की बेहतर पैदावार के लिए उपजाऊ और हल्की रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है .

इसके साथ ही इसकी खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.

इसकी खेती के लिए खेत की मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए. इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है.

इसकी खेती के लिए बारिश का मौसम अनुकूल माना जाता है. अधिक गर्मी और सर्दियों के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास नहीं हो पाते हैं.

शंखपुष्पी पौधों के अंकुरण के लिए 20 डिग्री तामपान की आवश्यकता होती है.

इसके पौधों के विकास के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.

हालांकि शंखपुष्पी के पौधे न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है.

 

शंखशपुष्पी की किस्में

शंखशपुष्पी की खेती करने वाले किसानों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि पैदावार और जलवायु के हिसाब से अलग अलग किस्मों की वो खेती कर सकते हैं.

फूलों के रंगो सफेद, नीली और लाल रंग के आधार पर इसकी तीन प्रजातिया मौजूद हैं. आई के ए 62842 की प्रति हेक्टेयर जबरदस्त पैदावार होती है.

इस किस्म के पौधे देखने में झाड़ीनुमा होते है. इसका पूर्ण विकसित पौधा सामान्य ऊंचाई का होता है, जिसमे छोटे आकार की पत्तिया और पीले, नीले रंग के फूल पाए जाते है.

सोढाला किस्म के शंखपुष्पी के पौधों का तना एक फिट लम्बा पाया है. इसके शाखाएं चारो और फैली होती है.

इसके अतिरिक्त भी शंखपुष्पी की कई किस्मो को पैदावार और जलवायु के आधार पर उगाया जाता है.

 

शंखशपुष्पी की खेती ऐसे करें

शंखपुष्पी की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है.

जुताई के बाद इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुल छोड़ दे, इससे खेत की मिट्टी में सूर्य की धूप अच्छे से लग जाएगी और मिट्टी में उपस्थित हानिकारक जीव नष्ट हो जायेंगे.

इसके बाद मिट्टी में खाद मिलाकर अच्छे से जुताई करने के बाद खेत में पानी डालकर गीला कर दें.

फिर जब उपरी मिट्टी की परत सूखी दिखाइ तो फिर से रोटावेटर से इसकी जुताई कर दें. इसके बाद खेत में पाटा चलाकर इसे प्लेन कर दें.

इसके बीजो की रोपाई को पौध और बीज दोनों विधि द्वारा की जाती है.

यदि आप इसकी रोपाई को पौधों के रूप में करना चाहते है, तो आप इसके पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से सस्ते दामों पर खरीद सकते है.

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