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जैविक खाद बनाने की नाडेप विधि क्या है ?

 

जैविक खाद बनाने की कई विधियां हैं जिसमें नाडेप विधि भी काफी प्रचलित है.

 

यह विधि इसलिए भी अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें कम से कम गोबर में अधिक खाद बनाई जा सकती है. इस विधि को महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पूसर गांव निवासी नारायम देवराव पण्डरी पाण्डे ने विकसित की थी. उन्हीं के नाम पर इस विधि को नाडेप विधि कहा जाता है. तो आइए जानते हैं क्या है नाडेप विधि और इससे कैसे कम्पोस्ट तैयार की जाती है.

क्या है नाडेप विधि ?

इस विधि में वायु संचार प्रोसेस के जरिए जीवांश से 90 से 120 दिनों में खाद तैयार की जाती है. इसके लिए गोबर, बायोमास यानि कचरा और बारीक मिट्टी की जरूरत पड़ती है.

इस विधि से तैयार की कई खाद में 0.5 से 1.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.5 से 0.9 प्रतिशत फास्फोरस और 1.2 से 1.4 प्रतिशत पोटाश तथा अन्य सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं. इसमें नाडेप टाकों की मदद से नाडेप कम्पोस्ट तैयार की जाती है.

 

कैसे बनाए पक्का नाडेप

ईटों की सहायता से पक्का नाडेप बनाया जाता है. जिसका आकार 10 फीट लंबा, 6 फीट चैड़ा और 3 फीट उंचा होता है. ईटों को जोड़ते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तीसरे, छठे और नोवें रद्दे में मधुमक्खी के छत्ते के समान 6 बाय 7 के छेद छोड़ दिए जाते हैं.

इन छिद्रों की सहायता से आसानी से हवा मिल सकें. एक पक्के नाडेप या टांके से साल में तीन बार खाद तैयार की जा सकती है.

 

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कच्चा नाडेप कैसे तैयार करें

इस विधि में बिना गड्ढे खोदे  ही 10 फीट लंबा, 6 फीट चैड़ा और 3 फीट उंचा ढेर बना दिया जाता है, जिसे आसपास से मिट्टी या गोबर के लेप से बंद कर दिया जाता है. दो तीन बाद जब मिट्टी या गोबर का लेप कड़ा हो जाए तब इसमें टीन के डिब्बे से लंबाई और चैड़ाई में 9-9 इंच और 7 से 8 इंच गहरे छिद्र बना दिए जाते हैं. जिससे हवा का आसानी से संचार होता है. गोबर व अन्य मिश्रण में नमी बनी रहे इसलिए पानी का छिड़काव किया जाता है. इससे 3 से 4 महीने में कम्पोस्ट तैयार हो जाती है.

 

टटिया नाडेप कैसे तैयार करें

टटिया नाडेप में बांस, बेसरम या तुअर के डंठल से टटिया तैयार करके टांका बनाया जाता है. इसमें हवा का संचार सुगमता से होता है.

 

नाडेप फास्फेट कम्पोस्ट विधि

यह विधि भी नाडेप की तरह ही होती है लेकिन इसमें अन्य सामग्री के साथ ही राक फास्फेट मिलाया जाता है. जिससे कम्पोस्ट में फास्फेट की मात्रा बढ़ जाती है. इसमें एक टांके में लगभग 150 किलो राक फास्फेट की जरूरत पड़ती है तथा प्रत्येक परत में 12 से 15 किलो राक फास्फेट की आवश्यकता पड़ती है.

 

नाडेप टांका कम्पोस्ट के लिए सामग्री

इसमें 1400 से 1600 किलो विभिन्न प्रकार के वानस्पतिक सुखे पत्ते, टहनिया, छिलके, डंठल और जड़ो का मिश्रण, 100 से 120 किलो गोबर, 600 से 800 किलो बारीक छनी हुई मिट्टी और 1500 से 2000 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है.

 

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नाडेप विधि से कम्पोस्ट बनाने की विधि

इस विधि में परत दर परत पर विभिन्न सामग्रियों को भरा जाता है. भराई से पहले टांके की दीवारों को गोबर के लेप से लिपाई कर दें. इसके बाद पहली परत पर विभिन्न वानस्पति सामग्री जैसे सुखे पत्ते, डंठल, कचरा, टहनियों को 6 इंच तक भर दें.

दीमक नियंत्रण के लिए नीम और पलाश की पत्तियां जरूर डालें. अब दूसरी परत में तीन से 4 किलो गोबर का घोल बनाकर वानस्पतिक सामग्री के ऊपर डाल दें.

अब तीसरी परत पर 50 से 60 किलो छनी हुई मिट्टी की परत बना दें. बता दें कि 11 से 12 परतों में पूरी सामग्री भर जाएगी. इसके बाद टांके को 400 से 500 किलो मिट्टी की परत बनाकर गोबर से लिपाई कर दें.

15 से 20 दिनों बाद जब सामग्री 8 से 9 इंच सिकुड़ जाए तब दूसरी भराई करके टांके को अच्छी तरह ढंक दें. 3 से 4 महीने बाद नाडेप कम्पोस्ट तैयार हो जाती है.

 

स्त्रोत : कृषि जागरण 

 

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