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कब और कैसे करें पत्तेदार सलाद की उन्नत खेती

 

इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

 

पत्तेदार सलाद की उन्नत खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान.

बड़े-बड़े होटलों में है इसकी काफी मांग, जानिए कैसे होगी इसकी खेती की तैयारी.

 

पत्तेदार सलाद (Lettuce Leaf) एक मुख्य विदेशी फसल है. दूसरी सब्जियों की तरह यह भी पूरे भारत में पैदा की जाती है.

इस की कच्ची पत्तियों को गाजर, मूली, चुकंदर व प्याज की तरह सलाद और सब्जी के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है.

विश्व में चीन पत्तेदार सलाद का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. यह फसल मुख्य रूप से जाड़ों में उगाई जाती है.

अधिक ठंड में बहुत अच्छी पैदावार  होती है और तेजी से बढ़ती है.

पत्तेदार सलाद फसल को ज्यादातर व्यावसायिक रूप से पैदा करते हैं और फसल की कच्ची व बड़ी पत्तियों को बड़े-बड़े होटलों और घरों में मुख्य सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं.

 

इस फसल की पत्तियां सलाद के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं. पत्तेदार सलाद के सेवन से शरीर को अधिक मात्रा में खनिज पदार्थ और विटामिंस मिलते हैं.

यह विटामिन ‘ए’ का मुख्य स्रोत है. इस के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम और विटामिन ‘सी’ भी मिलता है.

 

कैसी होनी चाहिए जमीन और जलवायु?

सलाद की फसल के लिए ठंडे मौसम की जलवायु सब से उत्तम होती है.

ज्यादा तापमान होने पर बीज बनने लगता है और पत्तियों का स्वाद बदल जाता है, इसलिए इसका तापमान 12 से 15 डिग्री सेंटीग्रेट सही होता है.

फसल के लिए उपजाऊ जमीन सब से अच्छी होती है. हलकी बलुई दोमट व मटियार दोमट मिट्टी सही होती है. जमीन में पानी रोकने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि नमी लगातार बनी रहे.

 

खेती की तैयारी और उर्वरक

जमीन की 2-3 बार मिट्टी पलटने वाले हल या 3-4 देशी हल या ट्रैक्टर से जुताई करनी चाहिए. खेत को ढेलेरहित कर के भुरभुरा कर लेना अच्छा है.

हर जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए. सलाद के लिए खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद 15-20 ट्राली प्रति हेक्टेयर डाल कर मिट्टी में मिला देनी चाहिए. कैमिकल उर्वरकों का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए.

नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, 60 किलोग्राम फास्फेट और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.

 

बिजाई का सही समय

मध्य सितंबर से मध्य नवंबर के महीने में नर्सरी तैयार करें. नर्सरी में बोये गये बीजों का फासला 15-20 सै.मी. रखें।

बीज अंकुरित होने के लिए 3-4 दिन का समय लेते हैं.

अंकुरन के बाद सलाद पत्ता को सूरज की रोशनी में हर दिन सुबह के समय 3-4 घंटे के लिए रखें.

जब बीज 4-6 सप्ताह पुराने हो जाएं तो इन्हे खेत में रोपण कर दें.

 

हानिकारक कीट और रोकथाम

चेपा : यदि रस चूसने वाले कीड़े जैसे कि चेपा का हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें.

धब्बा और चितकबरा रोग : धब्बा रोग की प्रतिरोधक किस्म का प्रयोग करें. चितकबरा रोग बीज से पैदा होने वाली बीमारी है इसलिए पत्ता सलाद की खेती के लिए इस बीमारी से रहित बीजों का प्रयोग करें.

 

कब करें फसल की कटाई

जब पत्ता पूरी तरह से विकसित हो जाता है और बिक्री आकार तक पहुंच जाता है तब इस फसल की कटाई की जाती है.

नर्म पत्तियों को एक सप्ताह के अंतराल के बाद काटा जा सकता है.

मार्च के अंत और अप्रैल के शुरू में फसल की कटाई बंद कर देनी चाहिए, इसके पत्ते दुधिया अवस्था में आ जाते हैं.

 

बीज प्राप्त करने के लिए फसल की कटाई मई महीने में खत्म कर देनी चाहिए.

यह 50 किलो प्रति एकड़ बीज देती है. सिरे वाली किस्म के लिए, जब सिरे पूरी तरह से विकसित हो जायें फसल की कटाई करें.

कटाई हाथों से और मिट्टी की सतह से ऊपर पौधे को काटकर की जा सकती है. फसल की कटाई सुबह के समय करनी चाहिए इससे पत्ते ताजे रहेंगे.

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