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गर्मियों के दिनों में कौन सी खेती में सबसे ज्यादा फायदा है

 

कृषि विशेषज्ञों से जानिए

 

रबी फसलों की कटाई मार्च-अप्रैल में लगभग पूरी हो जाती है, गर्मियों में अधिक पैदावार से किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली फसलों के विषय में जानिए।

 

गर्मियों में सिंचाई के पानी की कमी रहती है, इसलिए किसान साथी कम पानी में अधिक पैदावार के साथ मुनाफा दे, ऐसी फसलें फसलें कर सकते हैं।

कृषि विशेषज्ञों की राय है कि इस दौरान मूंग एवं उड़द की फसल करना लाभदायक होगा दोनों फसलों से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।

वही सब्जियों की खेती की जाए तो यह भी लाभदायक रहेगी।

किसान गर्मियों में कम अवधि वाली लौकी, तोरई, कद्दू, टमाटर, बैंगन, बाजरा, मैंथा जैसी फसलों की बुवाई करें, तो इससे अच्छी आमदनी हो सकती है।

 

विशेषज्ञों की सलाह यह है

गर्मियों में किसान खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ अधिक पैदावार देने वाली मूंग की खेती करें।

इसके लिए सम्राट किस्म की मूंग की बुवाई कर सकते हैं यह 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाता है, और डेढ़ से दो क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से इसकी पैदावार होती है।

किसान साथियों के लिए फायदेमंद बात यह है कि इसमें प्रति बीघा कुल खर्चा 400-500 रुपए आता है।

 

खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में उड़द की खेती लाभदायक

प्रति बीघा लागत उत्पादन खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के मामले में गर्मियों में उड़द की खेती की जा सकती है।

यह फसल भी 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि उड़द के पंच तारकेश में की बुवाई इस समय की जाती है।

इसकी पैदावार प्रति बीघा एक से डेढ़ कुंटल की पैदावार होती है। प्रति बीघा में कुल खर्च 250 से 300 रुपए आता है।

 

गर्मियों के लिए यह फसलें भी लाभदायक है

किसान इस समय मक्के की पायनियर 1844 किस्म की बुवाई कर सकते हैं यह किस्म दूसरी किस्मों के मुताबिक कम समय के साथ-साथ अच्छी पैदावार भी देती है।

 

कम समय में लगने वाली नगदी फसलों में मेंथा भी शामिल है। इस स्थिति में मैंथा ‘सिम क्रांति’ किस्स लगाना किसानों के लिए उचित होगा, क्योंकि यह किस्म में बाकी प्रजातियों से प्रति हेक्टेयर 10 से 12 फीट ज्यादा तेल देगी।

 

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मौसम में जब छुटपुट बारिश हो जाती है तो उसके प्रति यह प्रतिरोधी है यानी कम या ज्यादा बरसात होने पर इसकी उपज में अंतर नहीं पड़ेगा।

टमाटर कम समय में लगने वाली नगदी फसलों में शामिल होती है। जो कि कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है यह 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

source : choupalsamachar

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