सही कीमत पर खाद उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता
उन्होंने कहा कि भारत में यूरिया की कीमत प्रति बोरी 266.70 रुपए है जबकि पाकिस्तान में 800 रुपए, इंडोनेशिया में 600 रुपए, चीन में 2100 रुपए, बांग्लादेश में 719 रुपए, अमेरिका में 3060 रुपए तथा ब्राजील में 3600 रुपए है.
सरकार ने मंगलवार को संसद में कहा कि उसका पूरा प्रयास है कि किसानों को यूरिय सहित विभिन्न उर्वरक पर्याप्त मात्रा में और सही कीमत पर मिले एवं इसके लिए वह सब्सिडी का पूरा भार उठा रही है.
रसायन एवं उवर्रक मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि भारत में यूरिया की कुल खपत 325 लाख मीट्रिक टन है जबकि यहां घरेलू उत्पादन 250 लाख टन है. शेष 75 लाख मीट्रिक टन विदेशों से मंगाया जाता है.
3700 रुपए की सब्सिडी
उन्होंने कहा कि विदेशों में इसकी कीमत करीब 4000 रुपए प्रति बोरी है जबकि भारत में इसकी कीमत करीब 266 रुपए है.
इस तरह सरकार यूरिया पर करीब 3700 रुपए की सब्सिडी दे रही है.
मांडविया ने डाय अमोनिय फॉस्फेट (DAP) उर्वरक का जिक्र करते हुए कहा कि इस पर 2650 रुपए प्रति बोरी सब्सिडी दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा प्रयास है कि कीमतों में वृद्धि का भार किसानों पर नहीं पड़े, इसलिए वह सब्सिडी का पूरा भार उठा रही है.
सरकार को पूरे देश के किसानों की चिंता
प्रश्नकाल में ही रसायन एवं उवर्रक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने कहा कि केंद्र सभी राज्यों का एक ही दर पर उर्वरक मुहैया कराता है और कीमतों को लेकर राज्यों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूरे देश के किसानों के हितों की चिंता करती है और वह सही कीमत पर तथा पर्याप्त मात्रा उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत रही है.
उन्होंने कहा कि भारत में यूरिया की कीमत प्रति बोरी 266.70 रुपए है जबकि पाकिस्तान में 800 रुपए, इंडोनेशिया में 600 रुपए, चीन में 2100 रुपए, बांग्लादेश में 719 रुपए, अमेरिका में 3060 रुपए तथा ब्राजील में 3600 रुपए है.
खाद की कीमतें 43 प्रतिशत तक बढ़ गई
पिछले कुछ समय से वैश्विक बाजार में खाद की कीमतों में काफी तेजी देखी गई. जबकि रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी कर दी.
बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है और खाद की कीमतें 43 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं.
आशंका जताई जा रही है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कीमतों में और इजाफा संभव है.
इस कारण गेहूं, मक्का और सोयाबीन जैसी फसलों की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है, जो खाद्य सुरक्षा पर असर डालेगी.
source : tv9
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