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उत्पादन और आमदनी में जबरदस्त मुनाफे के लिए करें सहफसली की खेती

 

सहफसली की खेती

 

अधिक आय के लिए किसानों ने खेती में भी नई-नई तकनीकों को अजमाना शुरू कर दिया है.

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के मुरैना क्षेत्र के किसानों ने इन दिनों उन्नत तरीके से खेती की तैयारी शुरू कर दी है.

 

किसानों का मानना है कि इस तकनीक से उन्हें दोगुनी कमाई हो सकती है, साथ ही उन्नत तरीके से खेती करने से हम खुद की आर्थिक स्थिति में बेहतर सुधार कर सकते है.

 

रोगों के प्रकोप से भी बचाव

मुरैना जिले के किसानों ने इन दिनों अपने खेतों में सहफसली खेती कर रखी है. यानि एक साथ एक ही खेत में दो फसलों की उगाई कर रहे हैं.

किसानों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के किसानों ने अपने खेत में सरसों की खेती के साथ – साथ बरसीम की खेती भी कर रहे हैं.

उन्होंने खेत में सरसों फसल की उगाई कर रखी है. वहीँ साथ में बरसीम की बुवाई भी कर रखी है.

इससे ना सिर्फ उत्पादन और आमदनी में इजाफा होता है, बल्कि फसलों पर कीट और रोगों के प्रकोप से भी बचाव होता है.

किसानों की इस तकनीक को राज्य के आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक भी बढ़ावा दे रहे हैं.

पिछले तीन साल से सरसों के साथ बरसीम बीज की खेती करने वाले किसानों ने केवल सरसों की खेती करने वालों से लगभग दोगुनी आय की, इसलिए इस बार ऐसे किसानों की संख्या बढ़ गई है.

 

सहफसली से कमा रहे लाखों का मुनाफा

बता दें कि मुरैना जिले के लगभग सभी राज्य के किसानों ने अपने खेतों में सहफसली की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें करीब एक बीघा खेत में लाखों का मुनाफा प्राप्त हो रहा है.

 

सहफसली से कितनी होती पैदावार

किसानों का कहना है कि एक बीघा जमीन में करीब चार से साढ़े चार क्विंटल सरसों निकलती है, जो बाज़ार 7000 से 7500 रुपये क्विंटल के भाव बिकती है.

यानि एक बीघा जमीन में 30 से 32 हजार रुपये की सरसों की पैदावार मिलती है.

वहीँ बरसीम की बात करें, तो इसी एक बीघा खेत में डेढ़ से दो क्विंटल बरसीम का बीज पैदा होता है, जिसका भाव 13000 रुपये क्विंटल है.

यानि एक बीघा में 18 से 26 हजार रुपये तक का बरसीम से पैदावार मिलती है.

सरसों के खेतों में सरसों से ज्यादा बरसीम बीज की खेती से आय होती है.

 

सहफसली से लाभ
  • सहफसली से किसानों अन्य फसल के मुकाबले अधिक लाभ मिलता है.
  • एक साथ दो फसलों से पैदावार के साथ – साथ कीमत भी अच्छी मिलती है.
  • फसलों में कोई प्रकार का रोग या कीट का खतरा नहीं बढ़ता है.
  • फसल की खेती के लिए ज्यादा जमीन और मेहनत नहीं लगती है.

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