सरकार का बड़ा फैसला
रबी सीजन के दौरान भुगतान में देरी होने के बदले किसानों को मिला था एक करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज.
यही फैसला खरीफ सीजन में भी लागू.
हरियाणा सरकार ने पिछले 13 दिन में 25.47 लाख मिट्रिक टन धान की खरीद कर ली है.
उधर, अब तक इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में किसानों के बैंक अकाउंट में 1179.47 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की जा चुकी है.
कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल का दावा है कि फसलों के भुगतान की समय सीमा 72 घंटे निर्धारित की गई है.
अगर इस सीमा में भुगतान नहीं होता है तो ब्याज देने का प्रावधान किया गया है.
दलाल ने बताया कि पिछले सीजन में भुगतान में देरी की वजह से किसानों को एक करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज दिया गया है.
बता दें कि रबी सीजन के दौरान इसी साल मार्च में सरकार ने यह नियम लागू किया था.
तब फसल खरीद के भुगतान में देरी होने पर किसानों को 9 प्रतिशत ब्याज दिया गया था. खरीफ सीजन में भी यह नियम लागू है.
तय समय पर भुगतान का दावा
हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (HAFED) के प्रबंध निदेशक ए. श्रीनिवास का दावा है कि किसानों के पैसे का भुगतान 24 से 48 घंटे में किया जा रहा है जबकि लक्ष्य 72 घंटे का है.
हैफेड ने अब तक के 439 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही जारी कर दिया है.
क्यों लिया गया फैसला
दरअसल, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि किसानों के मुद्दे पर जरा सी लापरवाही सरकार के लिए परेशानी का सबब बन जा रही है.
ऐसे में सरकार ने किसानों को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर खरीदी गई उपज का भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है.
ब्याज का पैसा भी सीधे किसानों के बैंक अकाउंट (Bank Account) में जाएगा.
क्या आ रही है समस्या?
किसानों का कहना है कि पहले उपज बेचने के तुरंत बाद उन्हें आढ़तियों से पैसा मिल जाता था.
लेकिन अब पैसे को लेकर आढ़तियों की भूमिका खत्म कर दी गई है. किसानों के बैंक अकाउंट में डायरेक्ट भुगतान हो रहा है.
लेकिन डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की एक प्रक्रिया है.
जिसमें किसान को गेट पास, जे-फॉर्म, आई फॉर्म, एच-फॉर्म और मंडियों से उपज उठाने के सत्यापन और मिलान की आवश्यकता होती है. इसके बिना भुगतान नहीं होता.
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