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अभी भी है लहसुन की खेती करने का मौका

Posted on October 17, 2021October 16, 2021

 

इन किस्मों से होगा बंपर उत्पादन

 

किसान भाई गोदावरी, श्वेता और भीमा ओमेरी जैसी किस्मों में से चुनाव कर सकते हैं.

राजली गादी जी-451, फवराी, सलेक्षन-2 और सलेक्षन-10 किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है.

इसके अलावा, क्षेत्र के हिसाब से भी बीजों को विकसित किया गया है.

 

अगर अभी तक आपने लहसुन की रोपाई नहीं की है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.

आपके पास अभी भी मौका है कि इस फसल की खेती कर सकें. भारत में लहसुन की खेती अगस्त से शुरू होकर नवंबर के महीने तक होती है.

लेकिन कुछ क्षेत्रों में नवंबर के बाद भी इसकी रोपाई होती है. लहसुन की उन्नत खेती में फायदे के मौके अधिक हैं. यह एक ऐसी फसल है, जिसकी हमेशा मांग बनी रहती है.

 

अगर आप भी लहसुन की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो इन उन्नत किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

किसान भाई गोदावरी, श्वेता और भीमा ओमेरी जैसी किस्मों में से चुनाव कर सकते हैं.

राजली गादी जी-451, फवराी, सलेक्षन-2 और सलेक्षन-10 किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है.

इसके अलावा, क्षेत्र के हिसाब से भी बीजों को विकसित किया गया है.

 

लहसुन की खेती के लिए जरूरी बातें

लहसुन की खेती करने के लिए किसान भाई पहले खेत की दो से तीन बार अच्छे से जुताई करा लें.

इसके बाद इसमें अच्छी मात्रा में खाद डालें. एक हेक्टेयर खेत में 100 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस, पोटाश और सल्फर का प्रयोग करें.

100 किलो नाइट्रोजन एक ही बार खेत में नहीं डालना है. लगाते समय 35 किलो, लगाने के 30 दिन बाद 35 किलो और 45 दिन बाद 30 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें.

 

इस तरह लगाएं लहसुन

खेत तैयार करने और खाद डालने के बाद लहसुन लगाने की बारी आती है.

लहसुन लगाते समय कतार से कतार की दूरी 15 सेंटी मीटर रखनी चाहिए.

वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटी मीटर रखने से पैदावार अच्छी होती है लगाने के बाद ही किसान भाई खर पतवार नियंत्रण करने की व्यवस्था कर दें.

इसके लिए उन्हें खेत में पेंडामेथलिन की 3.5 से 4 मिली दावा की मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

 

इन रोगों में होता है इस्तेमाल

इसका उपयोग आचार, सब्जी, चटनी और मसाले के रूप में किया जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर, पेट रोग, पाचन संबंधी समस्या, फेफड़ा संबंधी समस्या, कैंसर, गठिया की बीमारी, नपुंसकता और खून की बीमारी के लिए भी लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है.

यह एंटी बैक्टिरिया तथा एंटी कैंसर गुणों के कारण बीमारियों में प्रयोग में लाया जाता है.

आज के समय में लहसुन सिर्फ मसालों तक ही सीमित नहीं रह गया है.

अब प्रोसेसिंग कर पाउडर, पेस्ट और चिप्स सहित तमाम प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो रहा है.

source

 

यह भी पढ़े : ये हैं प्याज की 5 सबसे उन्नत किस्में

 

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