सेवा सहकारी संस्थाओं से कृषि ऋण के इच्छुक
किसानों के लिए बड़ी खबर यह है कि सहकारी संस्थाओं से कृषि ऋण लेने के संबंध में सरकार ने बड़ा निर्णय किया है।
मध्य प्रदेश के लाखों किसान प्रदेश की प्राथमिक सेवा सहकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।इन संस्थाओं के द्वारा ही किसानों को खाद बीज मिलता है।
इतना ही नहीं सेवा सहकारी संस्थाओं से बिना ब्याज पर खेती की जरूरत के लिए नगद राशि सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में दी जाती है।
प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर है किसानों को अब सेवा सहकारी संस्थाओं से ऋण लेने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा सरकार ने ऋण लेने की सुविधा में बदलाव किया है जिसका किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।
सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के पश्चात अब प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से ऋण प्राप्त करने के लिए किसानों को अब अधिक इंतजार नहीं करना होगा।
सहकारी संस्थाओं से ऋण का यह नियम है
प्रदेश में प्रतिवर्ष 30 लाख से अधिक किसान प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से खरीफ और रबी फसलों के लिए ऋण लेते हैं।
इसमें 75 प्रतिशत राशि नकद और शेष 25 प्रतिशत ऋण सामग्री के तौर पर दिया जाता है। कृषि ऋण पर कोई ब्याज नहीं लिया जाता है।
सहकारी बैंकों को सरकार ब्याज की प्रतिपूर्ति के लिए वार्षिक 800 करोड़ रुपये का अनुदान देती है।
सभी किसानों को इस सुविधा का लाभ मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहकारिता विभाग की इन सेवाओं को लोक सेवा गारंटी कानून के अंतर्गत लाने का निर्णय लिया है।
तय समय सीमा में निर्णय लेना होगा
किसानों के द्वारा कृषि साख सहकारी समितियों को दिए गए आवेदन पर समिति को 30 दिन में निर्णय करना होगा।
इसी तरह कोई किसान समिति का सदस्य बनना चाहता है तो उसके आवेदन पर भी निर्णय 30 दिन में ही लेना होगा।
इसके लिए सरकार ने सहकारिता विभाग की किसानों से जुड़ी इन सेवाओं को लोक सेवा गारंटी कानून के दायरे में लाने का निर्णय लिया है।
मना नहीं कर सकती सहकारी समितियां
इसके तहत समिति के सदस्य कृषक के ऋण संबंधी आवेदन का निराकरण प्रबंधक यदि 30 दिनों में नहीं करता है तो किसान जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पास अपील कर सकेगा।
इस स्तर पर भी तीस दिन में आवेदन का निराकरण करना होगा।
इसी तरह कोई किसान प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति का सदस्य बनना चाहता है तो उसके आवेदन पर तीस दिन में निर्णय करना होगा।
यदि कोई समिति अपना पंजीयन निरस्त कराना चाहती है तो उस पर निर्णय लेने की अवधि तय कर दी गई है।
तीस दिन में निर्णय लेकर संबंधित को सूचित किया जाएगा।
सहकारी समितियों का परिसीमन हो रहा है
मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के लिए प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का परिसीमन किया जाएगा।
इसमें समितियों के क्षेत्र नए सिरे से निर्धारित होंगे। जिस गांव के पास जो समिति होगी, उससे ही किसानों को जोड़ा जाएगा।
इससे किसानों का यह फायदा होगा कि उन्हें खाद बीज के लिए अन्यत्र गांव गांव में स्थित सेवा सहकारी संस्थाओं में नहीं जाना पड़ेगा।
परिसीमन के लिए जो मापदंड तय किए हैं, उसमें समिति के कार्यक्षेत्र में कम से कम पांच हजार हेक्टेयर भूमि, तीन करोड़ रुपये का वार्षिक व्यवसाय और कम से कम एक हजार सदस्य होने चाहिए।
इस आधार पर प्रस्ताव बनेंगे और समितियों के क्षेत्र निर्धारित होंगे।
संस्थाओं को बनाया जाएगा आर्थिक रूप से सक्षम
प्रदेश सरकार ने सहकारिता विभाग को निर्देशित किया है कि ऐसी समितियां, जिनका वार्षिक व्यवसाय तीन करोड़ रुपये से कम है, उन्हें नए सदस्यों को जोड़ने के साथ अन्य गतिविधियां संचालित करने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही समितियों की आय बढ़ाने के लिए उचित मूल्य की राशन दुकानों को बहुद्देश्यीय दुकानों में परिवर्तित करने, गोदाम बनाने, प्रसंस्करण केंद्र संचालित करने सहित अन्य कार्यों से जाेडा जा रहा है।
इसके लिए कुछ समितियों के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन भी तैयार करवाए गए हैं।
इन्हें कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से बैंकों से ऋण दिलाया जाएगा।
सरकार की इस कवायद को करने के पीछे मंशा समितियों की आर्थिक सेहत सुधारने की है। दरअसल, कई समितियों की स्थिति अच्छी नहीं है।
इसे देखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर समितियों को अन्य समितियों से संबद्ध किया जाएगा।
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