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नींबू से लेकर संतरा और मौसमी तक, सालों भर रहती है मांग

 

इन फलों की खेती से होगी मोटी कमाई

 

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और औषधीय गुणों से भरपूर नींबू वर्गीय फलों की खेती देश के किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.

नींबू वर्गीय फलों का उपयोग हर समय होता है. यहीं कारण है कि किसान इन्हें अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं.

 

समय के साथ किसान भी बदल रहे हैं. वे अब ऐसी फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनकी मांग हमेशा बनी रहती है. इसका लाभ उन्हें अच्छी कमाई के तौर पर मिलता है.

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी और औषधीय गुणों से भरपूर नींबू वर्गीय फलों की खेती देश के किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.

नींबू वर्गीय फलों का उपयोग हर समय होता है. यहीं कारण है कि किसान इन्हें अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं.

 

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सामान्यत: नींबू वर्गीय फल दो प्रकार के होते हैं. एक खट्टा और दूसरे मीठे. खट्टे और मीठे दोनों फल साल भर बाजार में बिकते हैं. खट्टे फल में मुख्यत: लेमन और लाइम हैं.

वहीं मीठे में संतरा, माल्टा, मौसमी, मीठा नींबू, ग्रेपफ्रूट और डाब आदि प्रमुख हैं. मौसमी और संतरे के जूस की डिमांड हमेशा बनी रहती है. औषधीय गुणों से भरपूर नींबू का कई तरह से घरों में इस्तेमाल किया जाता है.

 

कैसे करें नींबू वर्गीय फलों की खेती

नींबू वर्गीय फलों की खेती करने के लिए आप जमीन का चयन कर खेत को समतल बना लें. पहाड़ी इलाकों में ढलाई के खिलाफ पौधारोपण करना चाहिए. हल्की और बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए अच्छी होती है.

जिन क्षेत्रों में सर्दी ज्यादा पड़ती है और पाला का असर ज्यादा दिन रहता है, उन इलाकों में नींबू वर्गीय फसलों की खेती नहीं होती है. कम तापमान होने से पैदावार अच्छी होती है.

दिन और रात के तापमान में ज्यादा बदलाव न हो तो फलों के अच्छे रंग आते हैं. वहीं गुणवत्ता भी बढ़ती है और फसल अच्छी होती है.

 

सींचाई है बहुत जरूरी

नींबू वर्गीय फलों की खेती के लिए सिंचाई की अच्छी सुविधा जरूरी है. इन्हें नियमित पानी की जरूरत पड़ती है. सिंचाई की बात करें तो गर्मी में 4 से 7 दिन के अंतर में सिंचाई जरूरी है.

जड़ों के पास नमी बरकरार रखने के लिए नियमित पानी देना पड़ता है. अगर मौसम उपयुक्त है और जड़ों में पानी की कमी नहीं है तो आप 10 से 15 दिन में सिंचाई कर सकते हैं.

 

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गर्मी और धूप से बचाव महत्वपूर्ण

नींबू वर्गीय फलों के बाग में निराई की जरूरत पड़ती है. खर-पतवार फसल को प्रभावित न करें, इसके लिए साफ-सफाई जरूरी है. इन फलों में कीट लगने की संभावना अधिक रहती है.

ऐसे में कीट से बचाव के लिए आप पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं. गर्मी और धूप से बचान के लिए प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है.

ज्यादा गर्मी के कारण फलों की बढ़वार रुक जाती है और गिरने लगते हैं. ऐसी स्थिति होने पर आप कृषि विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं.

 

फसल तैयार हो जाने पर आप सीधे बाजार में या व्यापारी को बेच सकते हैं. अगर आपके पास संसाधन हैं तो आप इनके बाइप्रोडक्ट भी बेच सकते हैं, जिससे आपकी अच्छी आमदनी हो सकती है.

कुछ कंपनियां सीधे किसानों से खरीद करती हैं और कुछ जूस और इन फलों से बाइप्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराती हैं. इससे किसानों को एक तय रकम मिलती है.

 

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