होगी लाखों की कमाई
खेती के जरिए मोटी कमाई करने के लिए युवा किसान गैर-पारंपरिक तरीके की खेती कर रहे है.
केंद्र सरकार भी इसे बढ़ावा देने के लिए कई तरह से ऐसे किसानों की सहायता करती है.
पांरपरिक खेती के जरिए किसानों के लिए अच्छी कमाई करना मुश्किल होता है.
यही कारण है कि अब युवा किसानों का झुकाव गैर-पारंपरिक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. अ
गर आप किसी ऐसी खेती के बारे में जानना चाहते हैं, जिसके जरिए सामान्य लागत में अच्छी कमाई हो सके तो चिंता मत कीजिए.
आज हम आपको मोती की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. खास बात है कि खुद सरकार भी इस खेती के लिए आपकी मदद करेगी.
कई लोग इस खेती के जरिए लखपति तक बन चुके हैं.
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मोती की खेती शुरू करने के लिए क्या है जरूरी ?
बाजार में डिमांड के हिसाब से मोती की उपलब्धता नहीं है.
अगर आप मोती की खेती के जरिए अच्छा पैसा बनाना चाहते हैं तो आपको तालाब, सीपियां (जिसमें मोती तैयार होता है) और विधिवत ट्रेनिंग की जरूरत होगी.
अगर आपके पास पर्याप्त पूंजी है तो अपने दम पर ही तालाब खुदवा सकते हैं.
पूंजी की कमी होने पर केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाले 50 फीसदी सब्सिडी का भी लाभ ले सकते हैं.
सीप आपको कई राज्यों में मिल जाएंगे लेकिन दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा जिले में मिलने वाले सीप की क्वॉलिटी अच्छी मानी जाती है.
सीप की खेती के लिए ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो आपके पास देशभर में कई संस्थानों का विकल्प है.
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और मुंबई से भी आप मोती की खेती के लिए ट्रेनिंग ले सकते हैं.
कैसे होती है सीप की खेती ?
सीप खरीदकर लाने के बाद एक जाल में बांधकर उन्हें 10 से 15 दिन के लिए तालाब में डाल दिया जाता है.
इससे सीप अपने मुताबिक अपना एनवायरमेंट बना लेते हैं. इसके बाद सीप को जाल के जरिए ही निकालकर उनकी सर्जरी की जाती है.
सर्जरी का मतलब है कि सीप के अंदर पार्टिकल यानी एक तरह का सांचा डाला जाता है.
इसी सांचे पर कोटिंग के बाद सीप लेयर बनकर तैयार होती है.
यही लेयर आगे चलकर मोती का रूप लेती है.
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क्या है मोती की खेती का पूरा प्रोसेस ?
10×10 फीट एरिया और लगभग 6 फीट गहरे तालाब से भी मोती पालन का काम शुरू किया जा सकता है.
सीपियों के स्वास्थ्य और भोजन के लिए कुछ उपकरणों और फ़ीड की आवश्यकता होती है.
सीपियों में एक छोटी सी सर्जरी के जरिए 4 से 6 मि.मि. के कण/न्युक्लियस डाला जाता है. ये कण/न्युक्लियस कई प्रकार के होते हैं तो और इन्हीं पर मोती की क्वॉलिटी निर्भर करती है.
लगभग 8 से 10 महीनों तक तलाब में रहने के बाद स्वस्थ सीपियों में व्यापार योग्य मोती बन जाते हैं.
कई बार अधिक गुणवत्ता के लिए मोती को और भी अधिक महीनों तक सीप में बढ़ने दिया जाता है.
सीप के खर्च की तुलना में मोती पर अचछा फायदा
अनुमानत: एक सीप पर किसानों को 25 से 30 रुपये का खर्च आता है. एक बार जब यह सीप तैयार हो जाता है तो इसमें से दो मोती निकलते हैं.
आम तौर पर बाजार में एक मोती का कीमत करीब 100-120 रुपये होती है. अगर बेहतर क्वॉलिटी का मोती निकला तो उसके लिए 200 रुपये भी मिल सकते हैं.
अगर कोई किसान एक एकड़ के तलाबा में 25 हजार सीपियां डालता है तो इसके लिए उन्हें करीब 8 लाख रुपये खर्च करने होंगे.
यह भी मान लिया जाए कि इन्हें तैयार करने के क्रम में अगर कुछ सीप बेकार हो जाएं तो भी कम से कम 50 फीसदी सीपी सुरक्षित निकलने की उम्मीद तो है ही.
इस प्रकार इससे 25 लाख रुपये से अधिक की कमाई की जा सकती है.
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