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एक हेक्टेयर में 75 क्विंटल तक हो सकती है पैदावार

 

इन क्षेत्रों के किसानों के लिए फायदे का सौदा है गेहूं की यह किस्म

 

गेहूं की इस वैराइटी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई रोग नहीं लगता. 145 दिन में होती है तैयार.

 

रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं (Wheat) की बुवाई का वक्त चल रहा है.

अब किसान अच्छी पैदावार और गुणवत्ता वाले गेहूं की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं.

पूसा एचडी (हाईब्रिड) 3226 गेहूं की ऐसी ही एक किस्म (Wheat Variety) है. जिसमें प्रोडक्शन जबरदस्त होता है.

नार्थ वेस्ट प्लेन के किसानों (Farmers) के लिए यह वैराइटी फायदे का सौदा है.

अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह तक इसकी बुवाई कर देनी चाहिए. यानी अब इस किस्म की बुवाई के लिए सिर्फ 10-12 दिन बचे हैं.

 

सेंटर फॉर एग्रील्चरल टेक्नॉलोजी असेसमेंट एंड ट्रांसफर (CATAT) में सीनियर टेक्निकल ऑफीसर पीपी मौर्य ने बताया कि इस किस्म में किसानों को 60 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार मिलती है.

इसे तैयार होने में 145 से 150 दिन का वक्त लगता है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के आनुवंशिकी संभाग ने विकसित किया है.

 

किन क्षेत्रों के लिए है गेहूं की यह किस्म

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह किस्म (Wheat Variety HD 3226) हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू और कश्मीर का जम्मू और कठुआ जिला, ऊना जिला (हिमाचल प्रदेश) और उत्तराखंड का पनोटा घाटी (तराई क्षेत्र) में वाणिज्यिक खेती के लिए जारी की गई है.

 

रोग प्रतिरोध

इस गेहूं की खासियत यह है कि इसमें रोग नहीं लगते. पीले, भूरे और काले जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है.

इसके अलावा कर्नाल बंट, पाउडर की तरह फफूंदी, श्‍लथ कंड और पद गलन रोग के लिए भी अत्यधिक प्रतिरोधी है.

बीज दर 100 किलो प्रति हेक्टेयर है.

 

कैसी है गुणवत्ता
  • उच्च प्रोटीन (12.8% औसत)
  • उच्च शुष्क और गीला लासा
  • बेहतर आकार का अनाज
  • औसत जस्ता 36.8 पीपीएम

 

50 दिन होने पर स्प्रे जरूरी

मौर्य ने बताया कि यह प्रजाति तेजी से बढ़ती है. इसलिए इसे 50 दिन का होने के बाद लीवोसिस ग्रोथ रेगुलेटर का छिड़काव करना चाहिए.

जिससे पौधों में ज्यादा वृद्धि नहीं होगी. वरना गिरने का डर रहता है. इसके 125 एमएल दवा को 150 से 200 लीटर घोलकर एक एकड़ में स्प्रे करना चाहिए.

बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई (Irrigation) और बाद में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

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