लाकडाउन से खाद बीज की खरीदी में दिक्कत
विकासखंड में इस वर्ष 56 हजार से अधिक हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बोवनी होगी।
खरीफ की फसल को लेकर अंचल में किसानों ने खेतों को तैयार कर लिया है, लेकिन लाकडाउन के कारण खाद बीज और कृषि से संबंधित दवाइयों व अन्य सामग्री की दुकानें नहीं खुलने से किसान पशोपेश में है।
किसान खाद और बीज की खरीदी करना चाहते है, लेकिन फिलहाल शासन स्तर से खाद बीज की दुकानें खुलने संबंधी निर्देश नहीं मिलने के कारण दुकानें बंद है।
बता दें कि यदि खाद बीज खरीदी को लेकर देरी से छूट दी गई तो बड़ी संख्या में किसान खरीदी को उमड़ेंगे, जिससे कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
खाद बीज एसोसिएशन ने भी एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन देकर खाद बीज दुकानें खुलने के लिए समय निर्धारित कर छूट देने की मांग की है।
खाद बीज एसोसिएशन का कहना है कि अन्य जिलो में दी गई छूट अनुसार राहत दी जाना चाहिए।
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कृषि विभाग के मुताबिक गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जहां मक्का का रकबा 10 फीसदी घट सकता है, वहीं कपास और सोयाबीन का रकबा बढ़ सकता है।
बीते वर्ष मक्का का रकबा 17 हजार हेक्टेयर के करीब था, जो इस साल करीब दो हजार हेक्टेयर कम होने का अनुमान है। वहीं सोयाबीन और कपास का रकबा एक एक हजार हेक्टेयर में बढ़ने की संभावना है।
वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी केसी सिसौदिया ने बताया विकासखंड में इस वर्ष 56 हजार से अधिक हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य है।
जानकारी के मुताबिक अंचल में किसानों ने 15 जून तक मानसून आने के आसार के चलते खेत तैयार करना शुरू कर दिया है।
वहीं किसानों के द्वारा बीज से लेकर सभी आवश्यक दवाईयों और उपकरणों की खरीद फरोख्त भी की जाना है।
अंचल में जहां सिंचाई सुविधा से संपन्ना कृषकों ने गर्मी के कपास सहित अन्य फसलों की बोवनी कर दी है। वहीं बारिश आधारित खेती करने वाले कृषक मानसून इंतजार कर रहे हैं।
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यह है अनुमानित रकबा
सोयाबीन 11260 हेक्टेयर, कपास 14007 हेक्टेयर में, मक्का 14786 हेक्टेयर, मूंगफली 2000 हेक्टेयर, जुवार 8215 हेक्टेयर, बाजरा 2250 हेक्टेयर, अरहर 1180 हेक्टेयर, उड़द 2350 हेक्टेयर, मूंग 1840 हेक्टेयर, सहित शेष हेक्टेयर में अन्य फसलों की बोवनी होगी।
दुकानें खुलने का निर्णय उच्च स्तर से
क्षेत्र में 56 हजार हेक्टेयर के करीब खरीफ की बोवनी होना है। इस वर्ष कपास व सोयाबीन का रकबा बढ़ने की संभावना है।
खाद बीज खरीदी को लेकर दुकानें खुलने की छूट का निर्णय उच्च स्तर से होना है।
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source : naidunia
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