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गेहूं बुवाई की तैयारी में जुटे किसान

 

बंपर उत्पादन वाले इस किस्म की मांग सबसे ज्यादा

 

किसानों के बीच सबसे ज्यादा मांग गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू-303 की है.

इस बीज की खास बात यह भी है कि किसान अगले सीजन में इसकी उपज से बीज बना भी सकते हैं.

 

धान की कटाई के साथ ही किसान गेहूं की बुवाई की तैयारी में लग गए हैं.

गेहूं रबी सीजन में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है. ऐसे में किसान ज्यादा उत्पादन के लिए गेहूं की सबसे अच्छी वेरायटी का चयन करने की कोशिश कर रहे हैं.

हर साल की तरह भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान भी गेहूं के बीज का वितरण कर रहा है.

आपको जानकार हैरानी होगी कि किसानों के बीच गेहूं की डीबीडब्ल्यू-303, डीबीडब्ल्यू-187 व डीबीडब्ल्यू-222 किस्म की मांग सबसे ज्यादा है.

 

डीबीडब्ल्यू-303 की मांग सबसे ज्यादा

किसानों बीच गेहूं की डीबीडब्ल्यू-303 वेरायटी की मांग सबसे ज्यादा है.

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि देशभर के लगभग 17 हजार किसानों ने गेहूं की बीज के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था जिनमें से लगभग 80 फीसदी किसानों को बीज मुहैया कराया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि किसानों के बीच सबसे ज्यादा मांग गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू-303 की है.

इस बीज की खास बात यह भी है कि किसान अगले सीजन में इसकी उपज से बीज बना भी सकते हैं.

 

कम समय में बंपर उत्पादन

डीबीडब्ल्यू-303 को किसान करण वैष्णवी के नाम से भी जानते हैं. इसे गेहूं की सबसे उन्नत किस्म कहा जा रहा है 2021 में ही अधिसूचित किया किया.

इस किस्म में प्रति हेक्टेयर गेहूं की पैदावार 81.2 क्विंटल तक होती है जबकि औसतन उत्पादन 93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

किसान इसकी बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में करते हैं क्योंकि ये समय इसके लिए सबसे ठीक माना जाता है.

इसकी अगेती बुआई का समय 25 अक्टूबर से पांच नवंबर तक निर्धारित रहता है.

करण वैष्णवी की अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के पहले हफ्ते तक बुवाई करेंगे तो 145 दिन में फसल तैयार होगी.

 

रोटी के लिए सर्वोत्तम किस्म

डीबीडब्ल्यू 303 अगेती किस्म है जिसकी खेती हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के साथ साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों के किसान कर सकते हैं.

यह रोटी के लिए सर्वोत्तम किस्म है, जिसमें प्रोटीन 12 पीपीएम, जिंक 42 पीपीएम व आयरन 43 पीपीएम है.

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