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सोयाबीन में पीला मोजेक रोग फैलाने वाली सफेद मक्खी किट से फसल को कैसे बचाएं

पीला मोजेक रोग

 

सोयाबीन में लगने वाले विनाशकारी सफेद मक्खी कीट की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए, जानिए

 

देशभर में सोयाबीन की फसल लगभग 1 महीने से ऊपर की हो गई है।

बारिश के इस मौसम में नमी बने रहने कारण सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक रोग व सेमिलूपर कीट का प्रभाव दिखाई देने लगा है।

हम यहां आपको सोयाबीन में लगने वाले सफेद मक्खी कीट से होने वाले पीला मोजेक रोग क्या है ?

तथा इनकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए ?, इन सभी के बारे में डिटेल में जानेंगे..

 

सफेद मक्खी के बारे में.

सफ़ेद मक्खी यह लगभग 0.8 मिमी की होती है, और उसके शरीर और दोनों पंखों पर सफेद से पीले रंग का मोमी स्राव रहता है।

वे अक्सर पत्तियों की निचली सतह पर दिखती हैं, और जब उन्हें हिलाया जाता है, तो वो उड़ने लगती हैं और बादल की तरह छा जाती हैं।

ये गर्म और सूखी परिस्थितियों में पनपती हैं।

पत्तियों की निचली सतह पर अंडे दिए जाते हैं। नवजात पीले से सफ़ेद रंग के, सपाट, अंडाकार और हरे पीले होते हैं।

वयस्क सफ़ेद मक्खियां किसी मेज़बान पौधे को खाए बिना कुछ दिनों तक जीवित नहीं रह सकती हैं।

यही कारण है कि इसकी आबादी को नियंत्रित करने के लिए घासफूस हटाना एक जरूरी उपाय माना जाता है।

 

सफेद मक्खी कीट के लक्षण

  • सफेद मक्खियाँ खुले खेतों और ग्रीनहाउसों की कई फसलों में आम हैं। लार्वा और वयस्क पौधे के रस का सेवन करते हैं और पत्ती की सतह, तने और फलों पर मधुरस या हनीड्यू छोड़ते हैं।
  • सफेद मक्खी से सोयाबीन की पत्तियों पर पीले धब्बे व राख जैसी फफूंद प्रभावित ऊतकों पर बन जाती है।
  • पत्तियां विकृत हो सकती हैं, घुमावदार हो सकती हैं या प्याले का आकार ले सकती हैं।
  • काली, मोटी फफूँदी विकसित हो जाती है।
  • सोयाबीन के पौधे का विकास रुकना या अवरुद्ध विकास।

 

सफेद मक्खी कीट फैलाता है पीला मोजेक रोग

सफेद मक्खी एक विनाशकारी कीट है, इसके एक बार फसल में लगने से यह पूरे खेत में फैल जाता है।

यह बहुभोजी कीट पत्तियों का रस चूसते है। जिससे की पत्तियां प्याले के आकार में मुड़ जाती है और पीली पड़ जाती है।

यह कीट ही पीला मोजेक रोग को पूरे खेत में फैलाता है। इस रोग की रोकथाम जल्दी करनी चाहिए।

 

40 फसलों को नुकसान पहुंचाता है यह किट

सोयाबीन सहित यह कीट केला, जुकीनी, हल्दी, टमाटर, शकरकंद, गन्ना, स्ट्राबेरी, जवार, कद्दू, आलू, अनार, प्याज, भिंडी, बाजरा, खरबूज, मैनीक, आम, मक्का, मसूर, अंगूर, अदरक, काला और हरा चना, बैंगन, खीरा, कपास, कॉफी, सिट्रस (नींब वंश), काबुली, चना, चेरी, फूलगोभी, कैबेज (पत्तागोभी), करेला, अरहर और तुअर दाल, शिमला मिर्च एवं मिर्च, मूंगफली, पपीता, गुलाब, सेम आदि ।

 

सफेद मक्खी कीट नियंत्रम के लिए यह करे

  • सोयाबीन फसल रोगरोधी किस्मों को लगाएं जो सफेद मक्खियों को रोकती हों।
  • खेत में जल निकास की सुविधा होनी चाहिए।
  • अपने पड़ोसियों से परामर्श करें और एक ही समय पर
  • बुवाई करें, न ज्यादा जल्दी और न ही ज्यादा देरी से।
  • फसल की घनी बुवाई करें।
  • पीले चिपचिपे जालों ( 20 / एकड़) की मदद से खेत की निगरानी करें।
  • पौधों में संतुलित उर्वरीकरण करने पर ध्यान दें।
  • व्यापक प्रभाव वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें अंडे या लार्वा वाली पत्तियों को हटा दें।
  • खेतों में तथा उसके आसपास खरपतवार और वैकल्पिक मेज़बानों को नियंत्रित रखें।
  • फसल कटने के बाद खेत से पौधों के अवशेषों को हटा दें।
  • उष्ण तापमान पर खेत को थोड़े समय के लिए परती छोड़ें।
  • गैर-संवेदनशील पौधों के साथ फसल लगाएं।

 

जैविक नियंत्रण
  • सफेद मक्खी पर जैविक नियंत्रण के लिए मक्खी की प्रजाति पर निर्भर करता हैं।
  • सुगर ऐप्पल तेल ( अनोना स्क्वामोसा),
  • पायरेथ्रिन,
  • कीटनाशक साबुन,
  • नीम की गुठली का अर्क (NSKE 5%),
  • नीम तेल (5 मिलीलीटर / ली पानी) के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है।
  • रोगजनक कवकों में ब्युवेरिया बासियाना, इसारिया फुमोसोरोज़िया, पेसिलोमायसिस वर्टिसिलियम लेकानी और फुमोसोरोज़ियस शामिल हैं।

 

रसायनिक नियंत्रण

संक्रमण की शुरूआती अवस्था में पीले पड़े पत्तों को तोड़ दें और गाय के गोबर उपलो से बनी राख से डस्टिंग करें।

थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू जी. का संक्रमण के स्तर अनुसार 80 से 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करे, बीटासायफ्लुथ्रीन 49 + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओ.डी. का 350 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर इस कीट को पौधे में लगने से बचाया जा सकता है।

पूर्वमिश्रित थायो मिथाक्जाम + लैम्बडासायहैलोथरीन का 125 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें यह सफेद मक्खी के साथ-साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी नियंत्रण करता है।

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