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अश्वगंधा : फल से लेकर पत्ती तक बेचकर होगी बंपर कमाई

Posted on August 2, 2022July 31, 2022

समझें अश्वगंधा की खेती का गणित

 

अश्वगंधा के फल, बीज और छाल के प्रयोग से कई प्रकार की दवाईयां बनाई जाती हैं.

तनाव और चिंता को दूर करने में अश्वगंधा को सबसे फायदेमंद माना जाता है.

इसकी खेती से किसान धान, गेहूं और मक्का की खेती के मुकाबले 50 फ़ीसदी तक अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

वहीं, भारतीय चिकित्सा पद्धितियों में भी इसका काफी उपयोग है.

 

भारत में परंपरागत फसलों से इतर अब किसान मेडिसिनल प्लांट्स की खेती की तरफ तेजी से रूख कर रहे हैं.

सरकार भी किसानों को औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

ये फसलें नगदी होती हैं, जो किसान को बेहद कम वक्त में बढ़िया मुनाफा दे जाती है. 

अश्वगंधा की खेती करके भी अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. इसकी खेती के लिए सितंबर का महीना सबसे ज्यादा उपयुक्त है.

बता दें कि इसके फल, बीज और छाल का प्रयोग कर कई प्रकार की दवाइयां बनाई जाती हैं. तनाव और चिंता को दूर करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.

 

बंपर मुनाफा

विशेषज्ञों के अनुसार, किसान परंपरागत फसलों के मुकाबले अश्वगंधा की खेती कर 50 प्रतिशत अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

यही वजह है कि हाल के वर्षों में देखा गया है कि उत्तर भारत के किसान अश्वगंधा की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.

 

अश्वगंधा की खेती के लिए बीज की जरूरत

अगर आप एक हेक्टेयर में अश्वगंधा की खेती करना चाहते हैं तो आपको 10 से 12 किलों बीज की जरूरत पड़ती है.

ये बीज 7-8 दिनों में अंकुरण की अवस्था में आ जाते हैं.

फिर इन्हें खेतों में पौधे से पौधे की दूरी 5 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर लगा दिया जाता है.

 

दवाओं को बनाने में किया जाता है उपयोग

अश्वगंधा को एक देशी औषधीय पौधा भी माना जाता है. इसका भारतीय चिकित्सा पद्धितियों में भी काफी उपयोग है.

इसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेद और यूनानी दवाओं को भी बनाने में किया जाता है.

 

कब करें कटाई?

अश्वगंधा की फसल बुवाई के 160-180 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है.

आप इन्हें काटकर इनके जड़ों, पत्तियों और छाल को अलग कर बाजार में बेचकर मालामाल हो सकते हैं.

यह भी पढ़े : राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अंतर्गत सिंचाई उपकरणों हेतु आवेदन करे

 

यह भी पढ़े : सोयाबीन की फसल में तनाछेदक किट नियंत्रण कैसे करें?

 

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