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मूंग की खेती कर अधिक पैदावार के लिए अप्रैल महीने में करें यह काम

जो भी किसान गर्मियों में मूंग की खेती करना चाहते हैं वे किसान 15 अप्रैल तक ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्मों की बुआई कर दें। किसानों को समय और पैसों की बचत के लिए ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई हैप्पी सीडर या सुपर सीडर कृषि यंत्र की मदद से बिना गेहूं की पराली जलाये करनी चाहिए।

बीज की बुआई सीड ड्रिल या कुंडों से पंक्तियों में करनी चाहिए तथा बीजों को 4-5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए।

 

ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती

ऐसे किसान जिन्होंने पिछले महीने मूंग की बुआई कर दी है वे किसान 25 से 30 दिन की फसल हो जाने पर पहली सिंचाई करें।

वहीं जो किसान अभी बुआई करना चाहते हैं वे किसान प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम तथा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचार करने के बाद राइजोबियम या फाँस्फेट घुलनशील बैक्टरिया (पीएसबी) कल्चर/टीका एक पैकेट 10 किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके बुआई करें।

 

किसान गर्मी में लगा सकते हैं मूंग की यह किस्में

ग्रीष्मकालीन मूंग की अच्छी पैदावार के लिए अच्छी प्रजाति का चयन अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत किस्मों जैसे – पूसा विशाल, पूसा 1431, पूसा 1371, पूसा 9531, पूसा रत्ना, पूसा 0672, फूले मोरना (केडीजी 123), आईपीएम 410–3 (शिखा), आईपीएम 205–7 (विराट), आईपीएम 512–1 (सूर्या), एसएमएल 1115, एमएच 318, एमएच 421, एमएसजे 118 (केशवानन्द मूंग 2), जीएएम 5, गुजरात मूंग–7 (जीएम-7) आदि का चयन कर सकते हैं।

यह सभी किस्में 65–80 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं।

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मूंग की फसल में कितना खाद डालें?

किसानों को खाद-उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए।

सामान्यतः मूंग की फसल के लिए 15–20 किलोग्राम नाईट्रोजन, 40–50 किलोग्राम फाँस्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय कुंडों में डालना चाहिए।

कुछ क्षेत्रों में जिंक की कमी की अवस्था में 15- 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए।

इसके साथ ही 5 टन/ हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए।

इस समय मूंग की फसल लगभग दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है। इस कारण से सिंचाई की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती है।

सही मायने में ग्रीष्मकालीन मूंग एक बोनस फसल की तरह काम करती है।

 

मूंग में कितनी सिंचाई करें?

मूंग की फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है। ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की अच्छी वृद्धि व विकास के लिए 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता है।

अनावश्यक रूप से सिंचाई करने पर पौधे की वानस्पतिक वृद्धि ज्यादा हो जाती है, जिसका उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

अत: सिंचाई आवश्यकतानुसार व हल्की करें। ऐसे किसान जिन्होंने पिछले महीने मूंग की बुआई कर दी है वे किसान 25 से 30 दिन की फसल हो जाने पर पहली सिंचाई करें।

 

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

बुआई के प्रारंभिक 4-5 सप्ताह तक खरपतवार की समस्या अधिक रहती है।

पहली सिंचाई के बाद निराई करने से खरपतवार नष्ट होने के साथ–साथ मिट्टी में वायु का संचार भी होता है।

यह मूल ग्रंथियों में क्रियाशील जीवाणुओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन एकत्रित करने में सहायक होता है।

खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण हेतु 2.5–3.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर बुआई के 2 से 3 दिनों के अंदर अंकुरण के पूर्व छिड़काव करने से 4 से 6 सप्ताह तक खरपतवार नहीं निकलते हैं।

चौड़ी पत्ती तथा घास वाले खरपतवार को रासायनिक विधि से नष्ट करने के लिए एलाक्लोर की 4 लीटर या फ्लुक्लोरालिन (45 ईसी) नामक रसायन की 2.22 लीटर मात्रा का 800 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के तुरंत बाद या अंकुरण से पहले छिड़काव कर देना चाहिए।

अत: बुआई के 15–20 दिनों के अंदर कसोले से निराई–गुडाई कर खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिए।

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